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एनवीसीसी का विवाद: पूर्व अध्यक्षों के सभी आरोप सिद्ध, प्रशासक ने एनसीएलटी को साैंपी अपनी रिपोर्ट
- अश्विन मेहाड़िया को आजीवन प्रतिबंधित करने की सिफारिश
- प्रशासक ने एनसीएलटी को साैंपी अपनी रिपोर्ट
डिजिटल डेस्क, नागपुर. नाग विदर्भ चेंबर ऑफ कामर्स के विवाद मामले में प्रशासक यू.सी.नाहटा ने एनसीएलटी को अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी है। इस रिपोर्ट में पूर्व अध्यक्षों द्वारा अश्विन मेहाड़िया पर लगाए गए लगभग सभी आरोप सच साबित हुए हैं। यहीं नहीं, प्रशासक ने अश्विन मेहाड़िया को किसी भी कंपनी में संचालक बनने के लिए आजीवन या कम से कम 10 साल तथा चेंबर के अन्य ऑफिस बिअरर को कम से कम 3 साल तक के लिए बैन करने की सिफारिश की है। यह भी कहा कि अश्विन मेहाड़िया के कार्यकाल में चेंबर को हुए नुकसान का आकलन नहीं किया जा सकता, लेकिन उन्हें चेंबर के खाते में 5 करोड़ रुपए जमा कराने होंगे आैर इस दौरान उनके द्वारा लिए गए सभी निर्णय निरस्त समझे जाने चाहिए। जब तक स्थिति पूरी तरह से सामान्य नहीं हो जाती, तब तक प्रशासक के हाथ में कामकाज रहना चाहिए। नाहटा ने आरोपों की जांच के लिए ऑडिटर और फाॅरेंसिक ऑडिटर की नियुक्ति की थी।
चेंबर के पूर्व अध्यक्षों ने लगाए थे यह आरोप : नाग विदर्भ चेंबर में हो रही अनियमितता को लेकर पूर्व अध्यक्षों की कमेटी ने एनसीएलटी में अश्विन मेहाड़िया पर आरोप लगाए थे, एनसीएलटी ने इन आरोपों की जांच के लिए चेंबर में प्रशासक की नियुक्ति की थी। प्रशासक नाहटा ने 8 अगस्त को एनसीएलटी के समक्ष जांच रिपोर्ट सौंपी। पूर्व अध्यक्षों ने आरोप लगाए थे कि चेंबर का अध्यक्ष रहते हुए अश्विन मेहाड़िया का डीन नंबर डिएक्टिवेट था। उन्होंने कंपनीज एक्ट 2013 के सेक्शन 152 (4) का उल्लंघन किया है। उसी प्रकार सेक्शन 152, 154, 164 और 167 का उल्लंघन करते हुए चेंबर में नए डायरेक्टर नियुक्त करने, 5 साल बैन हाेने के बावजूद चेंबर का डायरेक्टर बने रहने, 27 अक्टूबर 2021 को बगैर पूर्व सूचना के मीटिंग पोस्टपोंड करने, इसके बाद अन्य सदस्यों को सूचना दिए बगैर मीटिंग आयोजित करने, एनवीसीसी के टेनन्सी राइट सस्ते में छोड़ने, अनधिकृत रूप से सदस्यों की सदस्यता रद्द करने, मीटिंग में झूठ बोलकर एनवीसीसी की जमीन बिक्री का प्रस्ताव पास करने, क्लोन कंपनी बनाने, सदस्यों की सदस्यता को रीनिवल नहीं करने, गलत तरीके से सर्टिफिकेट ऑफ ओरिजिन के अधिकार देने और चेंबर की 78वीं आमसभा ठीक तरीके से नहीं लेने के आरोप लगाए गए थे।
सभी आरोप सच साबित हुए : प्रशासक, ऑडिटर और फॉरेंसिक ऑडिटर ने चेंबर के पूर्व अध्यक्षों द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को सहीं पाया। फॉरेंसिक ऑडिटर ने रिपोर्ट में कहा है कि एनवीसीसी की जमीन के टेनन्सी राइट्स काफी सस्ते में छोड़े गए हैं। अश्विन मेहाड़िया ने चेंबर की मीटिंग में व्यापारियों को चेंबर की जमीन के टेनन्सी राइट्स को लेकर गलत जानकारी दी। उन्होेंने टिप्पणी की है कि यह समझ से परे है कि सिविल लाइन्स जैसे एरिया में कोई 2 हजार वर्ग फीट जगह के एवज में 3 हजार वर्ग फीट जगह और करोड़ों रुपए कैसे दे सकता है। इसमें बड़े घोटाले की बू आ रही है।
एमनेस्टी स्कीम लाकर करीबियों को बनाया सदस्य
अश्विन मेहाड़िया ने एमनेस्टी स्कीम लाकर अपने करीबी लोगों को चेंबर की सदस्यता प्रदान की थी, जबकि यह सभी पहली बार चेंबर के सदस्य बनाए गए थे। एमनेस्टी स्कीम सदस्यों की सदस्यता रीनिवल के लिए लाई जाती है। उस दौरान 130 नए सदस्य बनाए गए थे। इनसे 3000 रुपए प्रवेश शुल्क भी नहीं लिया गया था। इससे चेंबर को 3.90 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चेंबर में रजिस्टर भी मेंटेन नहीं किया गया। एक ही मीटिंग के दो अलग-अलग मिनिट्स बनाए गए हैं। 2019-20 में हुई मीटिंग के मिनट्स 2022-23 में फाइनल किए गए। चेंबर के सदस्यों द्वारा समय-समय पर उठाए गए ऑब्जेक्शंस पर चर्चा नहीं की गई, बल्कि ऑब्जेक्शंस उठाने वाले दो सदस्यों की सदस्यता गैर-कानूनी तरीके से रद्द कर दी गई।
Created On :   1 Oct 2023 5:20 PM IST