जागरूकता जरूरी - ब्रेन डेड के बावजूद प्राकृतिक मृत्यु का इंतजार, महान दान पर भावना भारी

जागरूकता जरूरी - ब्रेन डेड के बावजूद प्राकृतिक मृत्यु का इंतजार, महान दान पर भावना भारी
  • 340 अंगों से मिला जरूरतमंदों को नया जीवन
  • सहमति नहीं देने का यही बड़ा कारण
  • सर्वाधिक किडनी दान

डिजिटल डेस्क, नागपुर, चंद्रकांत चावरे। अंगदान के प्रति जागरूकता का अभाव होने से मानसिकता नहीं बदल रही है। 10 सालों में केवल 106 मस्तिष्क मृतकों (ब्रेन डेड) के परिजनों ने अंगदान की सहमति दी है। इसमें 18 महिलाओं का समावेश था। 13 अंगदाताओं की आयु 20 साल के भीतर की थी। इनमें युवक व युवतियां दोनाें शामिल हैं। अब तक 340 विविध अंगों की प्राप्ति से जरुरतमंदों को नया जीवन मिला है। दरअसल, मस्तिष्क मृत होने के बावजूद परिजन प्राकृतिक मृत्यु का इंतजार करते हैं। उन्हें लगता है कि अंगदान प्रक्रिया के दौरान उसे तकलीफ होगी।

सालाना 18 से ऊपर नहीं बढ़ा अंगदान

विभाग में 2013 में अंगदान के लिए केंद्र की शुरुआत की गई। शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल में विभागीय प्रत्यारोपण समन्वयन केंद्र जेडटीसीसी (जोनल ट्रांसप्लांट काेऑर्डिनेशन सेंटर) की स्थापना की गई। जेडटीसीसी के संचालन के लिए 9 सदस्यीय समिति (त्रिवर्षीय) है। राज्य में पहले अध्यक्ष के रूप में डॉ. बालकृष्ण वाघमारे व सचिव के रूप में डॉ. राजाराम पोवार की नियुक्ति की गई थी। इसके अलावा अन्य सात सदस्यों का समावेश था। नागपुर विभाग में अंगदान का सालाना औसत प्रमाण 10 है। 2013 में शुरुआत हुई थी। उस समय केवल एक ही मृतक का अंगदान हुआ था। दस सालों में सर्वाधिक अंगदान 2018, 2019 और 2021 में हुआ। इन तीन सालों में हर साल 18 मृतकों के अंगदान के हुए थे। इसके अलावा 2014 में 3, 2015 में 4, 2016 में 6, 2017 में 14, 2020 में 3, 2022 में 10 और 2023 की जनवरी से अब तक 11 मृतकों का अंगदान हुआ है। कुल 106 मस्तिष्क मृतकों के परिजनों ने अंगदान की हिम्मत दिखाई है। जेडटीसीसी समिति के सदस्यों के समुपदेशन के बावजूद अंगदान के प्रति मानसिकता नहीं बदली है।

सर्वाधिक किडनी दान

जेडटीसीसी से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, अंगदान की सहमति मिलने के बाद 10 साल में विविध 340 अंग प्राप्त हुए हैं। 10 साल में सर्वाधिक किडनी दान हुआ है। अंगदान से 184 किडनी प्राप्त हुई है। इनमें से 182 का प्रत्यारोपण हो चुका है। 2 किडनी मुंबई भेजी गई थी। इसके साथ ही लिवर 72, हार्ट 14, लंग्स 4, आखों का कार्निया 58 और स्कीन 8 प्राप्त हो चुके हैं। इनमें से कुछ अंग नागपुर जोन में और कुछ अंग राज्य के दूसरे जाेन के जरूरतमंदों पर प्रत्यारोपित किए गए हैं।

3 कारणों के चलते अंगदान का प्रमाण कम

1. जेडटीसीसी सूत्रों के अनुसार, किसी व्यक्ति का मस्तिष्क मृत होने की सूचना मिलने पर संबंधित परिवार का समुपदेशन किया जाता है, लेकिन अनभिज्ञता के चलते परिजन मस्तिष्क मृत होने को मृत्यु नहीं मानते।

2. कुछ परिजनोें का मानना होता है कि यदि मस्तिष्क मृत व्यक्ति के अंगों को निकाला गया तो उसे तकलीफ होगी, जबकि मस्तिष्क मृत में संवेदना नहीं होती। वह संवेदनशून्य हो जाता है। संकोचवश अधिकतर परिजन ‘ना’ कहते हैं।

3.कुछ लोगों को लगता है कि अंगदान प्रक्रिया में काफी समय बीत जाएगा। इसलिए वे अंगदान से बचते हुए जल्दबाजी में लग जाते हैं। मृतक की अंत्येष्टि प्राकृतिक तरीके से करना चाहते हैं।

सहमति नहीं देने का यही बड़ा कारण

मस्तिष्क मृतक की अंगदान प्रक्रिया पूरी करने में 24 से 48 घंटे लगते हैं। इतने समय तक मृतक के परिजन व रिश्तेदार रुकने को तैयार नहीं होते। काफी समझाने के बावजूद वे अंगदान के लिए सहमति नहीं देते।

Created On :   5 Jun 2023 4:56 PM IST

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