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नायलान मांजे को लेकर 6 माह पहले पेंच...
डिजिटल डेस्क, नागपुर। जानलेवा साबित हो रहे नायलॉन मांजा पर पाबंदी लगाते हुए हाई कोर्ट ने विक्रेताओं के खिलाफ सख्ती बरतने के निर्देश दिए थे। इस मुताबिक, मनपा और पुलिस प्रशासन ने पिछले साल सख्ती दिखाते हुए अनेक पतंग व मांजा विक्रेताओं के खिलाफ कार्रवाई कर माल जब्त किया। मनपा की एनडीएस टीम ने 1499 दुकानों की जांच की थी, जिसमें से 30 विक्रेताओं पर कार्रवाई कर 84 हजार 844 पतंग और 55 मांजा की चक्री जब्त की थी। इन विक्रेताओं से 1 लाख 7 हजार रुपए का जुर्माना भी वसूला गया था। फिलहाल मकर संक्रांति को करीब छह महीने शेष हैं। प्रशासनिक कार्रवाई का खौफ इतना ज्यादा है कि मांजा व पतंग विक्रेता अभी से लामबंद होना शुरू हो गए हैं।
15 दिन के भीतर जांच का आग्रह
छह महीने पहले ही मनपा को एक पत्र देकर शहर के मुख्य मांजा व पतंग विक्रेताओं की सूची सौंपकर 15 दिन के भीतर इनकी जांच करने का आग्रह किया है। विक्रेताओं ने कहा कि प्रशासन 15 दिन में मांजा और पतंग का अवलोकन करें और पारंपरिक ,,मांजा कार्यवाही में आता है या नहीं? यह प्रमाणित किया जाए। पिछले अनुभव काफी खराब रहा। कहावत है कि गेहूं का साथ घुन भी पिसता है। कई विक्रेताओं के साथ भी यहीं हुआ। विक्रेताओं का दावा है कि मनपा या पुलिस प्रशासन के पास ऐसे कोई विशेषज्ञ नहीं हैं, जो नायलॉन और पारंपरिक सूती मांजा में फर्क बता सकें। लेकिन प्रतिबंध के नाम पर अनेक विक्रेताओं पर कार्रवाई कर उनका माल जब्त कर लिया गया। इसलिए इस बार विक्रेताओं ने प्रशासन की कार्रवाई के नाम पर लामबंद होना शुरू कर दिया है।
...तब निश्चित विरोध किया जाएगा
एक्शन एनजीओ व्यापारी संघ के बैनर तले मनपा अधिकारियों से मिले एक शिष्टमंडल ने प्रशासन की कार्रवाई पर कई सवाल उठाते हुए कहा कि जो सूची दी गई है, वे साल भर पतंग-मांजा का व्यवसाय करने वाले लोग हैं। जो नायलॉन मांजा बेचते हैं, वे एक-दो दिन के लिए अपनी दुकानें लगाते हैं और यह पूरा गोरखधंधा ऑनलाइन चलता है। इसमें नियमित विक्रेता पिस रहे हैं। उनका गृह उद्योग, संस्कृति बचाने के लिए दुकानों का अवलोकन कर प्रमाणित किया जाए और व्यापारियों का समाधान किया जाए। इसलिए छह महीने पहले पत्र देकर सूचित किया जा रहा है। उसका त्वरित जवाब दिया जाए। एक्शन एनजीओ व्यापारी संघ के सचिन बिसेन ने नियमित विक्रेताओं की सूची सौंपते हुए यह भी चेतावनी दी कि अगर 15 दिन में कोई जवाब नहीं मिलता है तो समय पर की जाने वाली कार्यवाही को गलत, जबरन समझकर उसका विरोध किया जाएगा।
ये उठाए सवाल
-बिक्री बंद होने के बावजूद कार्रवाई के नाम पर जब्ती क्यों
-प्रतिबंधित और पारंपरिक मांजा में संस्था को फर्क नहीं पता
- 3 साल से लिखित पत्र देने के बावजूद जवाब नहीं मिला
-संक्रांति के पहले मांजा प्रमाणित क्यों नहीं किया जाता
-जब्त किए गए मांजे की पंचनामा रिपोर्ट क्यों नहीं दी जाती
-प्रतिबंधित सामग्री प्रमाणित करने के क्या उपाय हैं
-प्रतिबंधित सामग्री बेचने वाले पर एफआईआर क्यों नहीं
फर्क आसानी से समझ में आता है
पिछले साल मनपा, पुलिस सबने मिलकर काम किया। नायलॉन मांजा और सूती मांजा में फर्क आसानी से समझा जा सकता है। नायलॉन मांजा टूटता नहीं है। जलाने पर वह प्लास्टिक की तरह जलता है। जबकि सूती मांजा आसानी से टूटता है और जलता है। जब दुकानों की जांच की जाती है तो यह सब देखा जाता है। हम प्रत्यक्ष कार्रवाई करते हैं, जबकि पुलिस ऑनलाइन बिक्री पर नजर रखती है। -वीरसेन तांबे, प्रमुख, एनडीएस मनपा
Created On :   10 Aug 2023 3:26 PM IST