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सात महीने का गर्भ गिराने पर नाबालिग ने जीवित बच्चे को दिया जन्म
- बच्चे के साथ मां की फोटो खींचने पर कोर्ट ने लगाई फटकार
- सीडब्ल्यूसी को हलफनामा दाखिल कर जवाब देने का निर्देश
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक बार फिर बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) को फटकार लगाते हुए कहा कि नाबालिग मां के साथ बच्चे का फोटो वायरल हुआ, तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा? सीडब्ल्यूसी ने नाबालिग मां का बच्चे के साथ फोटो क्यों ली। अदालत ने सीडब्ल्यूसी को हलफनामा दाखिल कर जवाब देने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-डेरे और न्यायमूर्ति गौरी गोडसे की खंडपीठ ने सोमवार को 15 वर्षीय मां की ओर से वकील रेओमंड जायवाला की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान से राज्य के महाधिवक्ता डॉ.बीरेंद्र सराफ पेश हुए और उन्होंने दलील दी कि किसी बच्चे को सीडब्ल्यूसी को सौंपते समय उसके माता-पिता से एक फार्म भरवाया जाता है। खंडपीठ ने उनसे पूछा कि क्या नाबालिग मां से हलफनामा भरवाना ठीक है? इस पर उन्होंने कहा कि पीड़िता से हलफनामा भरवाना जरुरी नहीं है।
सीडब्ल्यूसी ने ऐसा किया है, तो यह गलत है। इस बीच नाबालिग मां के वकील रेओमंड जायवाला ने खंडपीठ से कहा कि सीडब्ल्यूसी ने सेल्टर रूम में नाबालिग को उसका बच्चा गोद में देकर परिवार के साथ फोटो लिया। इस पर खंडपीठ ने हैरानी जताते हुए पूछा कि सीडब्ल्यूसी ने किस लिए नाबालिग मां के साथ बच्चे का फोटो लिया। यदि नाबालिग का बच्चे के साथ फोटो वायरल हो गया, तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा? अदालत ने सीडब्ल्यूसी को अगली सुनवाई पर हलफनामा दाखिल कर जवाब देने का निर्देश दिया है। 15 वर्षीय लड़की की दायर याचिका पर हाईकोर्ट के अवकाशकालीन पीठ ने 16 मई को जेजे अस्पताल में 27 सप्ताह से अधिक की गर्भवती नाबालिग को मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी (एमटीपी) की अनुमति दी थी। 5 जून को अदालत को बताया गया कि 15 वर्षीय लड़की को जीवित बच्चा पैदा हुआ है और उसे जेजे अस्पताल के आईसीयू में रखा गया है।
Created On :   8 Aug 2023 12:39 PM IST