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भास्कर की खास-पड़ताल : नागपुर से पुणे जा रही बस डिवाइडर से टकराकर पलटी, बनी आग का गोला
- लपटों में घिरे 25 लोगों की मौत
- इस हादसे ने छोड़े कई सवाल
- हर सवाल जिम्मेदारों को कटघरे में खड़ा करती ह
- भास्कर की खास-पड़ताल
डिजिटल डेस्क, नागपुर. समृद्धि महामार्ग पर शनिवार तड़के सिंदखेड़राजा के पिंपलखुटा परिसर में बस दुर्घटना जलने के मामले मृतकों के परिजनों को नई समस्या का सामना करना पड़ेगा। मृतकों के शवों के बुरी तरह से जल जाने से पहचान को लेकर खासी मुश्किलें आईं। डीएनए जांच रिपोर्ट के लिए लंबा इंतजार को देखते हुए सामूहिक अंत्यसंस्कार कर दिया गया है, लेकिन मृतकों के परिजनों को मृत्यु प्रमाण-पत्र को पाने के लिए तकनीकी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।
केन्द्र सरकार के नियमों के तहत मृत्यु प्रमाण-पत्र को जारी करने के लिए मृतक की पूरी शिनाख्त और पहचान आवश्यक होती है, लेकिन शवों की पहचान पूरी तरह से नहीं हो पाने से मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि जानकारों के मुताबिक अब भी टिकट बुकिंग के लिए प्रस्तुत दस्तावेज और मोबाइल क्रमांक को आधार मानकर पुलिस रिेपाेर्ट को जोड़कर प्रमाण-पत्र को पाया जा सकता है, लेकिन इस प्रक्रिया के लिए भी जन्म मृत्यु विभाग के पुणे निंबधक कार्यालय से अनुमति लेना होगा।
ट्रैवल्स एजेंसी और पुलिस पर दारोमदार
जन्म मृत्यु विभाग के मुताबिक किसी भी नागरिक का मृत्यु प्रमाण-पत्र जारी करने के लिए पर्याप्त दस्तावेजों में पहचान आवश्यक होती है। अस्पताल में मौत होने पर अस्पताल प्रबंधन से फार्म 2 जारी कर सूचना दी जाती है, जबकि घर पर मौत होने पर समीप के दहनघाट में मृतक के पहचान-पत्र को देने पर ही प्रमाण-पत्र जारी होता है। बस दुर्घटना में मृत यात्रियों के मामले में दोनों ही स्थिति नहीं है। ऐसे में अब ट्रैवल्स एजेंसी के बुकिंग दस्तावेजों को ही प्राथमिक स्रोत मानने का विकल्प रह जाता है। बस बुकिंग के दौरान यात्रियों की ओर से आधार कार्ड समेत अन्य पहचान-पत्र और मोबाइल क्रमांक मुहैया कराए जाने की जानकारी ली जा सकती है। ट्रैवल्स एजेंसी के दस्तावेज को आधार देने के लिए पुलिस की जांच रिपोर्ट को जोड़ना होगा।
उत्तराखंड आपदा की अधिसूचना से मिलेगी राहत
साल 2016 से केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने जन्म और मृत्यु प्रमाण-पत्र का आनलाइन पंजीयन लागू किया है। गृह मंत्रालय के अधीन केन्द्रीय सामान्य एवं जनसंख्या आयुक्त कार्यालय के महानिदेशक कार्यालय से जन्म और मृत्यु पंजीयन की प्रक्रिया को निर्धारित किया गया है। हालांकि प्राकृतिक आपदा में मौत और गुमशुदगी को लेकर अधिसूचना जारी हुई है। 21 फरवरी 2021 को उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा में मृत नागरिकों के लिए जारी किया गया है। अधिसूचना के मुताबिक मृत नागरिकों के शवों की शिनाख्त कर सामान्य रूप से मृत्यु प्रमाण-पत्र जारी किया जाना चाहिए, जबकि अज्ञात शवों अथवा गुमशुदगी के मामले में दुर्घटना वाले क्षेत्र के स्थानीय प्रशासन और परिजनों के शपथ-पत्र को आधार मानकर मृत्यु प्रमाण-पत्र जारी करना होगा।
जिलाधिकारी से नो रिस्पांस बैठक में हूं संदेश
बस दुर्घटना में शहर के मृत युवाओं के मृत्यु प्रमाण-पत्र को लेकर तकनीकी दिक्कतों के संदर्भ में जिलाधिकारी डॉ. विपिन ईटनकर से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन कई मर्तबा कॉल और मैसेज करने के बाद भी जिलाधिकारी से बात नहीं हो पाई। केवल मोबाइल पर मैसेज कर बैठक में होने की जानकारी जिलाधिकारी ने दी।
विशेष प्रस्ताव का प्रावधान
डॉ रंजना लाड़े, प्रभारी मनपा सचिव एवं सांख्यिकी अधिकारी, जन्म मृत्यु विभाग मनपा के मुताबिक जन्म मृत्यु पंजीयन को लेकर कोई भी मौखिक आदेश को मान्य नहीं किया जा सकता है। मृतकों की शिनाख्त नहीं होने पर डीएनए रिपोर्ट अथवा न्यायालयीन आदेश की आवश्यकता होती है। इन प्रस्तावों को भी राज्य के निबंधक को मंजूरी के लिए भेजना होता है। ऐसे फिलहाल बस दुर्घटना में मृत नागरिकों के लिए ट्रैवल्स एजेंसी के दस्तावेज, पुलिस की जांच रिपोर्ट, डीएनए रिपोर्ट की आवश्यकता होगी। दुर्घटनास्थल परिसर के नगर-परिषद अथवा महानगरपालिका प्रशासन को ऐसे मामलों में कार्यवाही पूरी करनी होगी।
20 मानकों की जांच सिर्फ 5-10 मिनट में
वर्ष 2025 तक सड़क दुर्घटनाओं को 50 फीसदी तक कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितीन गडकरी को अफसोस है कि सड़क दुर्घटनाओं पर नियंत्रण स्थापित करने में सफलता नहीं मिल रही। नागपुर-मुंबई समृद्धि महामार्ग पर शुक्रवार-शनिवार की दरमियानी रात हुए हादसे में आग का गोला बनी बस क्र. एमएच-29 बीइ 1819 में सवार 25 लोग जिंदा जल गए। इस बीच प्रादेशिक परिवहन विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर बड़ा रहस्योद्घाटन हुआ है। सूत्र बताते हैं कि लक्जरी, सेमी लक्जरी बसों का प्रत्यक्ष फिटनेस टेस्ट होता ही नहीं। सूत्रों के मुताबिक चाबी घुमाते ही गाड़ी शुरू हो जाए और चलाने पर चल पड़े तो मान लिया जाता है कि गाड़ी फिट है। प्रत्यक्ष फिटनेस टेस्ट न होने का कारण बताया जा रहा कि अधिकांश ट्रैवल्स बस संचालकों से आरटीओ अधिकारियों की ‘पार्टनरशिप’ है। अर्थात बसों को अनफिट करार देना संभव ही नहीं, चाहे बस बुरी तरह खस्ताहाल ही क्यों न हो?
ट्रैवल्स बस संचालक, आरटीओ अधिकारियों की रहती है मिलीभगत
वाहन फिटनेस टेस्ट के लिए तकरीबन 20 मानक निर्धारित हैं। इनमें स्पार्क प्लग, हेड लैम्प बीम,, अन्य लाइट, रिफ्लेक्टर, बल्ब, रिअर विव्यू मिरर, सेफ्टी ग्लास, हार्न, साइलेंसर, डैश बोर्ड इक्यूपमेंट, विंड शिल्ड वायपर, एक्जास्ट एमिशन, ब्रेकिंग सिस्टम, स्पीडोमीटर, स्टीयरिंग गियर, रिअर अंडर रन प्रोटेक्टिंग डिवाइस, लेटरल साइड प्रोटेक्टिंग डिवाइस, फास्टेग, प्रायरिटी सिट्स साइन, व्हील चेयर आदि का समावेश है। जांच में इन मानकों पर खरे उतरने के बाद ही फिटनेस प्रमाण-पत्र जारी किया जाता है। हैरानी इस बात की है कि इन मानकों की संपूर्ण जांच महज 5 से 10 मिनट में पूर्ण हो जाती है। यह हम नहीं आरटीओ के अाला अधिकारी कह रहे हैं। एक अधिकारी ने दावा किया है कि 1 वाहन की फिटनेस जांच महज 5 से 10 मिनट में पूर्ण होती है। केंद्रीय मोटर वाहन नियम 1989 के नियम 62 के तहत फिटनेस टेस्ट के सभी 20 मानकों को परखा जाता है।
सावधान...आप समृद्धि महामार्ग पर हैं
हाईवे पर घूम रहे जानवर
रविवार को सुबह करीब 60 से अधिक गायों का झुंड इस महामार्ग पर नजर आया।
बड़े वाहनों, कार समेत ट्रकों को चलने में खासी दिक्कत होती है।
समृद्धि महामार्ग की सुरक्षा के प्रशासन के दावों पर प्रश्नचिन्ह लग रहे हैं।
चालक को वर्चुअल रूप में पूरे रास्ते पर वाहन दौड़ाने का आभास होता है
महाराष्ट्र रास्ते विकास महामंडल से निर्मित समृद्धि महामार्ग पर लगातार कई घंटों तक तेज गति से चलने से वाहनचालकों को सम्माेहित होने के कारण दुर्घटनाएं घटित हो रही है। उपाय योजना के नाम पर वाहनों की जांच, टायरों और हवा की स्थिति को लेकर दंडात्मक कार्रवाई होने का दावा हो रहा है। एमएसआरडीसी की लापरवाही के चलते पिछले 7 माह में भीषण दुर्घटना में नागरिकों को जान गंवानी पड़ी है।
सुरक्षा के केवल आश्वासन
बाम्बे हाईकोर्ट के अधिवक्ता एवं सामाजिक कार्यकर्ता विनोद तिवारी ने दिसंबर माह में हाइवे के आरंभ होने पर सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार कराई। करीब 3 माह तक वाहनचालकों की स्थिति और सुविधाओं की समीक्षा की रिपोर्ट को अप्रैल माह में एमएसआरडीसी के प्रबंध निदेशक राधेश्याम मोपलवार समेत राज्य सरकार को सौंपी गई। राधेश्याम मोपलवार ने तत्काल पहल करने का आश्वासन दिया, लेकिन अब तक समृद्धि महामार्ग पर पार्किग-बे, रेस्ट रूम ही नहीं शौचालय भी आरंभ नहीं हो पाए हैं।
2 कंपनी के बीच फंसा हाइवे विकास
1995 में निर्मित रास्ते विकास महामंडल ने बालासाहब ठाकरे समृद्धि महामार्ग के लिए जमीन अधिग्रहण कर रास्ते को तैयार कराया है, जबकि हाइवे के दोनों किनारों पर शौचालय, पार्किग प्लाज, पार्किग-बे, इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिग, शापिंग मॉल बनाने के लिए जमीन विकास संस्था (लैंड डेवलपमेंट कार्पोरेशन) को जिम्मेदारी दी गई है। रास्ते के दोनों किनारे में करीब ढाई एकड़ की जमीन पर विकास कार्याे को पूरा करना है। पौधारोपण के लिए निजी एजेंसी को जिम्मेदारी दी गई है। पहले चरण के रास्ते के आरंभ होने के 7 माह बाद भी विकास कार्यों और सुविधाओं को तैयार करने का काम आरंभ नहीं किया गया है।
जल्दबाजी में आरंभ करने से दिक्कत
एड विनोद तिवारी, सामाजिक कार्यकर्ता के मुताबिक समृद्धि हाइवे को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप तैयार करने का दावा किया गया है, लेकिन मानकों को महामार्ग के आरंभ होने के 7 माह बाद भी पूरा नहीं किया गया है। रास्ते विकास महामंडल समेत राज्य सरकार ने जल्दबाजी में बगैर सुविधा के रास्तों को आरंभ कर दिया है, ऐसे में दुर्घटनाएं घटित हो रही है।
क्या होता है हाइवे हिप्नोटिज्म
विश्व भर में लंबी दूरी के अंतर को कम करने के लिए एक्सप्रेस-वे की संकल्पना को तैयार किया गया है। जंगल, कृषि भूमि के बीच से ग्रीन फील्ड के रूप में गुजरनेवाले लंबी दूरी के एक्सप्रेस-वे पर वाहनचालकों को हाइवे हिप्नोटिज्म से सुरक्षा के इंतजामों को पूरा किया जाता है। ग्रीन फील्ड और सीधे आसमान नजर आने पर 30 किमी से अधिक की दूरी पर लगातार वाहन चलाने से चालक के दिमाग में सम्मोहन होने लगता है। चालक के दिमाग में अपने वाहन को वर्चुअल रूप में पूरे रास्ते पर दौड़ाने का आभास होने लगता है। ऐसे में टायर फूटने, जानवर आने अथवा नींद की झपकी आने पर तेज गति वाहन बुरी तरह से असंतुलित हो जाता है। हिप्नोटिज्म के प्रभाव में वाहन चालक से वाहन को संतुलित करने में भी मुश्किल आ जाती है।
Created On :   3 July 2023 7:25 PM IST