कोर्ट ने कहा- सजा जरूरी है...ताकि कानून का डर रहे

कोर्ट ने कहा- सजा जरूरी है...ताकि कानून का डर रहे
अतिक्रमण विरोधी दस्ते पर हमला करने वाले को मिली सजा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। नागपुर सत्र न्यायालय ने अपने हालिया फैसले में स्पष्ट किया है कि किसी आरोपी पर अपराध सिद्ध होने के बाद उसे केवल मानवीय आधार पर सजा से नहीं बचाया जा सकता। आरोपी को सजा देकर समाज को यह संदेश देना जरूरी है कि कोई भी व्यक्ति कानून को अपने हाथ में नहीं ले सकता। अगर न्यायालय आरोपी के कृत्य को हल्के में ले, तो इससे अन्य अपराधियों के मन से कानून व्यवस्था का डर समाप्त हो जाएगा। इस निरीक्षण के साथ न्यायालय ने अतिक्रमण विरोधी दस्ते पर हमला कर एक पुलिस अधिकारी के कंधे पर काटने वाले 60 वर्षीय सब्जी विक्रेता को 1 वर्ष की जेल और 2 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। आरोपी का नाम शकील अहमद है और वह हसनबाग निवासी है।

यह है मामला : घटना 24 अप्रैल 2019 की है। नागपुर मनपा ने हसनबाग पुलिस चौकी से हसनबाग चौक तक अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई शुरू की थी। आरोपी की यहां सब्जी की दुकान थी। वह अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई का विरोध करते हुए जेसीबी के सामने खड़ा हो गया। अधिकारियों के कई बार कहने के बावजूद वह सामने से नहीं हटा। इतना ही नहीं, उसने दस्ते में मौजूद एक पुलिस अधिकारी की काॅलर पकड़ ली और उसके कंधे पर दांत से काट लिया। इसके बाद भीड़ का फायदा उठाकर आरोपी वहां से भाग गया। पुलिस ने आरोपी पर धारा 353 और 332 के तहत मामला दर्ज किया। आरोपी के बचाव में उसके वकील ने कोर्ट के समक्ष दलील दी कि अतिक्रमण की कार्रवाई के समय पुलिस ने उस पर बल प्रयोग किया, जिसके बाद उसे निजी अस्पताल में इलाज भी कराना पड़ा। वहीं आरोपी के वकील ने यह भी दलील दी कि वह करीब 60 वर्ष का है और उसे मिरगी की बीमारी है। साथ ही वह अपने परिवार में कमाने वाला एकमात्र व्यक्ति है, लेकिन हाई कोर्ट ने उक्त निरीक्षण के साथ यह फैसला दिया है।

Created On :   29 Aug 2023 2:46 PM IST

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