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मौलिक अधिकार पर बंदिशें लगाते वक्त कानून का पालन जरूरी
डिजिटल डेस्क, नागपुर। किसी आरोपी को तड़ीपार करते वक्त यह समझना जरूरी है कि हम एक भारतीय नागिरक को संविधान द्वारा दिए गए मौलिक अधिकार को बाधित कर रहे हैं, क्योंकि देश के नागरिकों को देश में कहीं भी आजादी से घूमने का मौलिक अधिकार प्राप्त है। एक व्यक्ति को तड़ीपार करने से वह आजादी से घूम तो क्या, खुद अपने घर में नहीं जा सकता। इस प्रकार तड़ीपारी व्यक्ति के मौलिक अधिकार पर बंदिश लगाने जैसा है। इसलिए किसी भी आरोपी को तड़ीपार करते वक्त कानून में उल्लेखित सभी प्रक्रियाओं का पालन करना जरूरी है। बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने अपने हालिया फैसले में यह निष्कर्ष दिया है।
यह है पूरा मामला : हाई कोर्ट ने अमरावती जोन-1 के पुलिस उपायुक्त के 3 मार्च 2022 के उस आदेश को खारिज किया है, जिसमें क्षेत्र के 22 वर्षीय आरोपी सचिन संजय राऊत को अमरावती जिले से 2 वर्ष के लिए तड़ीपार करने की कार्रवाई शुरू की गई थी। पुलिस ने आरोपी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था कि उसके आपराधिक रिकॉर्ड को देखते हुए उसे अमरावती जिले से तड़ीपार क्यों ना किया जाए। आरोपी ने इस नोटिस को विभागीय आयुक्त के पास चुनौती दी थी, वहां अपील खारिज होने पर उसने हाई कोर्ट की शरण ली थी। पुलिस के अनुसार, आरोपी के खिलाफ गाडगे नगर पुलिस थाने में अनेक आपराधिक मामले दर्ज हैं। क्षेत्र में शांति व्यवस्था कायम रखने के लिए पुलिस ने उसे तड़ीपार करने की कार्रवाई शुरू की थी। इस बीच, आरोपी ने अपने बचाव में दलील दी कि उसके खिलाफ दर्ज 8 मामलों में से 4 में पुलिस अभी भी जांच कर रही है, कोर्ट में उसका दोष सिद्ध नहीं हुआ है। वहीं, जिन गवाहों ने उसके खिलाफ बयान दिया, उनका सत्यापन भी नहीं किया गया है। मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने यह फैसला दिया है।
Created On :   28 July 2023 3:32 PM IST