राज्य सरकार के विवादित जीआर पर हाई कोर्ट की रोक

राज्य सरकार के विवादित जीआर पर हाई कोर्ट की रोक
मुरुम के अवैध खनन करने वालों पर की जा रही सरकारी कार्रवाई रद्द करने का मामला

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने राज्य सरकार के 3 जनवरी 2023 के उस विवादित जीआर पर राेक लगा दी है, जिसके तहत राज्य सरकार ने मुरुम के अवैध खनन करने वालों पर की जा रही सरकारी कार्रवाई रद्द कर दी थी। हाई कोर्ट ने कोजी प्रॉपर्टीज लिमि. की याचिका पर यह आदेश जारी किया है। मामले में राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 23 अगस्त तक जवाब मांगा है। मामले में याचिकाकर्ता की ओर से एड.फिरदौस मिर्जा ने पक्ष रखा।

पुलिस में शिकायत दर्ज कराई : याचिकाकर्ता कंपनी निर्माणकार्य और भूखंड बिक्री के कार्य में सक्रिय है। कंपनी के पास वर्धा में करीब 1000 एकड़ जमीन है। इस जमीन का एक बड़ा हिस्सा राज्य सरकार ने समृद्धि महामार्ग बनाने के लिए अधिगृहीत किया। इस कार्य के लिए एफकॉन नामक कंपनी ने टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा लिया और उन्हें खड़की आमगांव से पिंपलगांव तक की सड़क बनाने का कार्य दिया गया। इस कंपनी ने कुछ कार्यों के लिए आशीष दफ्तारी नामक सब-कांट्रैक्टर नियुक्त किया। इस सब-कांट्रैक्टर ने याचिकाकर्ता के 100 एकड भूखंड से अवैध तरीके से मुरुम खनन कर लिया। 30 जुलाई 2019 को याचिकाकर्ता ने इसकी पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई। पुलिस ने सिर्फ एफकॉन कंपनी के प्रकल्प प्रबंधक और सब-कांट्रैक्टर के खिलाफ भादवि 379, 447, 427, 120बी के तहत मामला दर्ज किया। इससे नाराज याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट की शरण ली।

कोर्ट से अंतरिम राहत मिली : 10 दिसंबर 2019 को याचिकाकर्ता ने वर्धा अपराध शाखा को मामले की जांच सौंपी। इसके बाद सेलू के स्थानीय तहसीलदार ने ठेकेदार कंपनी एफकॉन के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन पर कुल 226 करोड़ 89 लाख रुपए का जुर्माना लगाया और उन्हें 238 करोड़ 99 लाख रुपए की रॉयल्टी भरने का भी आदेश दिया। ठेकेदार कंपनी ने इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी, तो उन्हें अंतरिम राहत मिली। इसी बीच राज्य सरकार ने 3 जनवरी 2023 को एक जीआर जारी करके अवैध खनन करने वालों के खिलाफ की गई अनेक कार्रवाई रद्द कर दी। इसमें एफकॉन पर होने वाली कार्रवाई भी शामिल थी। इसी जीआर को याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में चुनौती दी है।

Created On :   27 July 2023 11:06 AM IST

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