73 करोड़ की मांग, मिले केवल 10 करोड़ - नियोजन समिति से सांत्वना तक नहीं मिली

73 करोड़ की मांग, मिले केवल 10 करोड़ - नियोजन समिति से सांत्वना तक नहीं मिली
  • बरसात के पहले काम पूरा होने की संभावना नजर नहीं आ रही
  • 380 प्रस्ताव जिप के लोककर्म विभाग ने भेजा है
  • 206 सड़कों की दुरूस्ती व निर्माणकार्य का भी प्रस्ताव
  • 60 करोड़ में से महज 5 करोड़ का प्रावधान किया गया

डिजिटल डेस्क, नागपुर. जिले के ग्रामीण इलाकों के लिए निधि आवंटन के मामले में जिला परिषद प्रशासन को खासा परेशान होना पड़ रहा है। हाल ही में नियोजन समिति की सभा में जिप के लोककर्म विभाग ने 73 करोड़ रुपए की निधि से 380 प्रस्तावों को भेजा है, इन कामों में प्रमुखता से ग्रामीण इलाके के जर्जर रास्तों का निर्माणकार्य, पीएचसी की दुरूस्ती समेत पर्यटन क्षेत्र विकास का समावेश था। पिछले दो सालों से इन कामों के लिए पर्याप्त निधि मुहैया नहीं हो पाई थी, ऐसे में प्रशासन को उम्मीद थी कि निधि आवंटन होने से बरसात पूर्व कामों को आरंभ कर पूरा कर लिया जाएगा, लेकिन नियोजन समिति से उम्मीदों पर पानी फेरते हुए केवल 10 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की गई है। ऐसे में इस साल भी ग्रामीण इलाके में रास्तों समेत स्वास्थ्य सुविधा के लिए निधि की कमी बनी हुई है। हालांकि प्रशासन का दावा है कि इस निधि से नए सिरे से प्राथमिकता के आधार पर दुरूस्ती और विकास कामों के प्रस्तावों को बनाया जाएगा। बावजूद इसके बरसात के पहले कामों को पूरा होने की संभावना नजर नहीं आ रही है।

ग्रामीण रास्तों को 49 करोड़ की बजाय 5 करोड़ में बनाना पड़ेगा

पिछले साल मई माह में ग्रामीण इलाके के जर्जर और बेहद खराब रास्तों का सर्वेक्षण कर सूची बनाई गई थी। इन रास्तों में पारसिवनी, मौदा, कुही, भिवापुर, उमरेड, सावनेर के ग्रामीण इलाके के पुराने और खस्ताहाल रास्तों को शामिल किया गया। जून माह में 49 करोड़ की निधि से 142 रास्तों के निर्माणकार्य का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा भी गया, मौखिक आश्वासन के बाद भी प्रस्तावों को मंजूरी नहीं मिल पाई है। ऐसे में इस मर्तबा 60 करोड़ रुपए की निधि से ग्रामीण भाग की 206 सड़कों की दुरूस्ती और निर्माणकार्य का प्रस्ताव नियोजन समिति में रखा गया, लेकिन 60 करोड़ में से महज 5 करोड़ रुपए का प्रावधान दिया गया है। ऐसे में अब प्राथमिकता से दुरूस्ती कार्य को तय करने में खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। इतना ही नहीं कई इलाके को प्रस्तावित निर्माणकार्य से हटाने की नौबत आ गई है।

निधि का अभाव भी आड़े आया

तीन साल पहले कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के चलते ग्रामीण इलाके में रास्तों समेत अन्य बुनियादी सुविधाओं को दुरूस्ती नहीं किया जा सका था। कोरोना संक्रमण के समाप्त होने पर निधि का अभाव रहने से प्राथमिकता के आधार पर कामों को पूरा किया गया। पिछले साल राज्य सरकार के गिरने से स्थगन प्रस्ताव में कामों को आरंभ नहीं किया गया। इस साल जिप के लोककर्म विभाग ने 73 करोड़ रुपए की निधि से 380 प्रस्तावों को तैयार किया था। इन कामों में आंगनवाड़ी, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र निर्माणकार्य समेत पर्यटन क्षेत्रों के विकास और जर्जर रास्तों की दुरूस्ती को शामिल किया गया था। इस प्रस्ताव को नियोजन समिति की बैठक में मंजूर होने पर बरसात से पहले कामों को आरंभ करने की उम्मीद लगी हुई थी, लेकिन नियोजन समिति की ओर से महज दो फंड के तहत 10 करोड़ की निधि आवंटित की गई है। अब प्रशासन को नए सिरे से 10 करोड़ ऱुपए के लिए प्राथमिकता वाले कामों का प्रस्ताव बनाना होगा। इन प्रस्तावों को नए सिरे से नियोजन समिति की आगामी बैठक में मंजूर होने पर ही कामों को लेकर प्रशासकिय औपचारिकता पूरी हाे पाएगी।

25 से अधिक पर्यटन क्षेत्र "क' श्रेणी में : पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान तत्कालीन पशु संवर्धन मंत्री सुनील केदार की पहल पर पर्यटन क्षेत्र के विकास के प्रस्ताव बनाए गए थे। जिले के 25 से अधिक पर्यटन क्षेत्रों को ‘क’ श्रेणी में विकास और जीर्णेाद्धार कर बुनियादी सुविधाओं से जोड़ने का फैसला हुआ था। जिप के लोककर्म विभाग के माध्यम से 170 करोड़ की निधि से 7 कामों का प्रस्ताव बनाकर भेजा था। इन कामों के लिए प्रशासकीय मंजूरी मिलने पर 125 करोड़ के कामों के लिए ठेका एजेंसी को कार्यादेश भी दिया गया था, लेकिन स्थगन प्रक्रिया में कामों पर रोक लगा दी गई थी। लोककर्म विभाग ने 13 करोड़ की लागत से 174 कामों की सूची को दोबारा से नियोजन समिति की बैठक में रखा था, इसमें से महज 5 करोड़ की राशि को मंजूर किया गया है।

बुनियादी सुविधा प्रस्ताव अधर में : साल 2021-22 में आदिवासी घटक कार्यक्रम फंड के तहत रास्ते विकास और आंगनवाड़ी इमारत निर्माणकार्य के लिए 708 कामों को मंजूरी दी गई थी। इन कामों के लिए 81 करोड़ 11 लाख रुपए की निधि को प्रशासकीय मंजूरी देकर 59 करोड़ 93 लाख रुपए की निधि आवंटित भी हुई थी। पिछले साल जून माह तक इनमें से 464 कामों के लिए निविदा प्रक्रिया नहीं हो पाई थी, जबकि 10 करोड़ 82 लाख की लागत वाले 92 कामों के लिए निविदा प्रक्रिया पूरी कर कार्यादेश ठेका एजेंसी को दिया गया था, लेकिन स्थगन के चलते कामों को रोकना पड़ा था। इन कामों में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, उपकेन्द्र पशु वैद्यकीय अस्पतालों का विस्तार एवं आधुनिकीकरण प्रस्ताव शामिल है। निधि के अभाव में कामों को रोकना पड़ा है।

डीपीसी को भेजे नए कामों के प्रस्ताव

सुभाष गणोरकर, कार्यकारी अभियंता, लोकनिर्माण विभाग, जिप के मुताबिक जिप लोककर्म विभाग ने नियोजन समिति को विकास कार्याे के लिए निधि आवंटन का प्रस्ताव दिया था। हाल ही में नियोजन समिति ने ग्रामीण रास्ते दुरूस्ती और मजबूतीकरण के लिए 5 करोड़ और ‘क’ श्रेणी तीर्थक्षेत्र विकास के लिए 5 करोड़ की निधि मंजूर की है। जल्द ही प्राथमिकता के आधार पर प्रस्तावों को तैयार कर नियोजन समिति को भेजा जाएगा। अगली बैठक में कामों को मंजूरी मिल जाने पर कामों को आरंभ कर दिया जाएगा।



Created On :   28 May 2023 6:15 PM IST

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