नागपुर खंडपीठ: अदालत ने पूछा सवाल - खेती के लिए बिजली जीवनरेखा है, कंपनी इसे कैसे रोक सकती है

अदालत ने पूछा सवाल - खेती के लिए बिजली जीवनरेखा है, कंपनी इसे कैसे रोक सकती है
  • किसानों को बिजली से वंचित रखना जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन
  • 62 किसानों द्वारा दायर याचिका पर कड़ी टिप्पणी

Nagpur News. बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने अमरावती जिले के धारणी तालुका के 62 किसानों द्वारा दायर याचिका पर कड़ी टिप्पणी की है। न्यायमूर्ति अनिल किलोर और न्यायमूर्ति रजनीश व्यास की पीठ ने कहा कि महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (एमएसईडीसीएल) द्वारा किसानों से राशि स्वीकार करने के बावजूद कृषि बिजली कनेक्शन प्रदान नहीं करना प्रथम दृष्टया संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त जीवन एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है।

अदालत ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि जब खेती से जुड़ी गतिविधियों के लिए बिजली जीवनरेखा के समान है, तो बिजली वितरण कंपनी किसानों को बिजली आपूर्ति से कैसे वंचित रख सकती है। मामले की व्यापक गंभीरता और जनहित को देखते हुए अदालत ने याचिका को जनहित याचिका में परिवर्तित कर दिया।

याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता एस.आई. घट्टे ने अदालत को बताया कि किसानों द्वारा बार-बार आवेदन, अनुरोध और आंशिक राशि जमा करने के बावजूद एमएसईडीसीएल ने कृषि प्रयोजन के लिए बिजली कनेक्शन देने पर कोई निर्णय नहीं लिया है।

मामले की गंभीरता को देखते हुए न्यायालय ने अधिवक्ता रोहन देव को न्यायालय मित्र (एमिकस क्यूरी) नियुक्त करते हुए नियमों के अनुरूप विस्तृत जनहित याचिका तैयार कर प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। इस दौरान अधिवक्ता घट्टे ने न्यायालय मित्र को पूर्ण सहयोग देने का आश्वासन दिया। न्यायालय ने एमएसईडीसीएल सहित सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर 9 जनवरी 2026 तक अपना जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।

Created On :   15 Dec 2025 8:08 PM IST

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