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बगैर जांच दिव्यांग का आवेदन निरस्त
- छात्रा की मां ने की मेडिकल के अधिष्ठाता से शिकायत
- मेल में 40 फीसदी से कम दिव्यांगता का जिक्र
डिजिटल डेस्क, नागपुर. शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेडिकल) के अधिष्ठाता से एक छात्रा ने शिकायत की है। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि उसकी बधीरता की जांच किए बिना ही दिव्यांगता के लिए किए गए आवेदन को निरस्त कर दिया गया है। इस कारण वह दिव्यांग कोटे से महाविद्यालय प्रवेश के लिए फॉर्म नहीं भर सकती।
दिव्यांग सशक्तिकरण विभाग से मिला मेल : छात्रा की मां द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, उनकी बेटी के एक कान से सुनाई नहीं देता है। वह 14 मई को बेटी को लेकर मेडिकल स्थित सरकार के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग में दिव्यांगता प्रमाण-पत्र लेने गई थी, पर वहां जांच नहीं की गई। वहां से जांच के लिए इंदिरा गांधी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेयो) भेज दिया गया। मेयो में जांच के बाद अगले दिन फिर वह दिव्यांगजन सशक्तिकरण केंद्र पहुंची। यहां पर आवेदन के साथ अन्य जरूरी दस्तावेज जमा करने को कहा गया। दस्तावेज जमा करते समय बताया गया कि छात्रा को जांच के लिए बुलाया जाएगा, लेकिन दोबारा कभी जांच के लिए नहीं बुलाया गया अौर न ही किसी तरह की जांच की गई।
छात्रा की मां ने बताया कि 15 जून को उन्हें एक मेल आया। यह मेल दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग की तरफ से आया था। लिखा है कि आपकी जांच हो चुकी है, जिसमें 40 फीसदी से कम दिव्यांगता पाई गई है। अत: आपको दिव्यांगता प्रमाण-पत्र नहीं दिया जा सकता। दिव्यांगता प्रमाण-पत्र के लिए किया गया आपका आवेदन निरस्त किया गया है। इसके लिए छात्रा की मां ने दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग मेडिकल बोर्ड के सदस्य डॉ. आशीष केचे को दोषी बताया गया है। इस मामले की शिकायत 21 जनू को अधिष्ठाता से की गई है।
मुझे जानकारी नहीं है
डॉ. आशीष केचे, मेडिकल बोर्ड सदस्य के मुताबिक 12 से 31 मई तक मैं छुट्टी पर था। इसलिए मुझे जानकारी नहीं है। बधीरता की जांच करवाने मेयो में भेजा जाता है। असल में क्या हुआ है, यह जानने के बाद ही कुछ बताया जा सकता है।
Created On :   23 Jun 2023 6:14 PM IST