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एमपीसीबी की रिपोर्ट में खुलासा : सीओडी-बीओडी की मात्रा खतरनाक, तालाब बचाने आगे आना होगा
- कोई भी तालाब संपूर्ण नहीं
- खौफनाक तस्वीर के 2 बड़े सवाल
- तालाब को बचाना जरूरी
डिजिटल डेस्क, नागपुर, योगेश चिवंडे| शहर में मनपा के आधिकारिक रिकार्ड पर 11 तालाब हैं। इसमें से पांढराबोडी और बिनाकी मंगलवारी तालाब पहले ही विलुप्त हो गए हैं। वे रिकार्ड पर तो है, लेकिन कहीं नजर नहीं आते। अब तीसरे तालाब यानी लेंडी तालाब ने भी दम तोड़ दिया है। यह तालाब नाममात्र ही है। महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल (एमपीसीबी) की रिपोर्ट ने यह खुलासा किया है। रिपोर्ट में लेंडी तालाब का डिसॉल्व ऑक्सीजन (डीओ) यानी ऑक्सीजन की मात्रा नॉट डिटेक्ट होने का खुलासा किया है। रिपोर्ट के मुताबिक तालाब में ऑक्सीजन की मात्रा बची नहीं है। तालाब में सीओडी (केमिकल ऑक्सीजन डिमांड) और बीओडी (बायो-केमिकल ऑक्सीजन डिमांड) की भी मात्रा क्रमश: 91.2 और 39.0 पाई गई है।
जानकारों की राय में रिपोर्ट की 2 बड़ी बातें
जानकारों की मानें तो तालाब में अगर सीओडी और बीओडी की मात्रा पाई जाती है, तो यह मान लेना चाहिए कि उसका पानी छूने लायक भी नहीं बचा है। इस तालाब के पानी में सिकल कॉलिफोर्म भी पाया गया है, यानी रिपोर्ट ने पुष्टि की है कि तालाब में सीवेज का पानी घुल-मिल गया है। ऐसे में शहर से एक और तालाब विलुप्त होने की श्रृंखला में पहुंच गया है।
अगर तालाब को बचाने की पहल नहीं की गई तो वह दिन दूर नहीं जब पांढराबोडी-बिनाकी मंगलवारी तालाब की तरह लेंडी तालाब भी सिर्फ रिकार्ड पर रहेगा। शहर में अंबाझरी, पांढराबोडी, फुटाला, गोरेवाड़ा, गांधीसागर, लेंडी, नाईक, बिनाकी मंगलवारी, सोनेगांव, पुलिस लाइन टाकली, सक्करदरा तालाबों को रिकार्ड में दिखाया गया है।
कोई भी तालाब संपूर्ण नहीं
एक दिन पहले केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी ने शहर में तालाब की स्थिति पर चिंता जताते हुए तालाबों के ठेकेदारों को ब्लैक लिस्ट करने का निर्देश दिया था। फिलहाल शहर में गोरेवाडा और फुटाला तालाब को छोड़ दिया जाए तो कोई भी तालाब अपनी पूर्णता की ओर नहीं है।
शहर की आपातकालीन पेयजल आपूर्ति के लिए पर्याय माने जाने वाला अंबाझरी तालाब भी अपनी प्रदूषण की चपेट में है। अंबाझरी तालाब को जलकुंभी ने घेर रखा है। इसका मतलब पानी में मल-मूत्र का मिश्रण हो रहा है। जिसकी वजह से पानी प्रदूषित हो गया है।
गांधीसागर, सोनेगांव, सक्करदरा में सालों से सौंदर्यीकरण के नाम पर तालाब को खाली कर रखा गया है। सालों के बाद भी इन तालाबों में पानी नहीं भर पाया है। इसका मतलब प्रशासन के नियोजन में बड़ी चूक मानी जा रही है।
नाईक तालाब भी जलकुंभी और सीवेज की चपेट में है। पुलिस लाइन टाकली तालाब भी जलकुंभी से पटा है, जिसके सौंदर्यीकरण के नाम पर मजाक बनाया गया है।
तालाब की खौफनाक तस्वीर के 2 बड़े सवाल
किसी भी तालाब की बेहतर स्थिति के लिए डिसॉल्व ऑक्सीजन का स्तर कम से कम 6 मिलीग्राम प्रति लीटर होना आवश्यक है। यह मात्रा जलजन्य प्राणियों के जीवन के लिए अच्छी मानी गई है, लेकिन शहर में किसी भी तालाब में ऑक्सीजन की मात्रा 6 नहीं रही है। 4.5 या फिर 5 के करीब यह स्तर दर्ज किया गया है।
शहर के किसी तालाब में ऑक्सीजन का नहीं होना, पहली बार सामने आया है। ऐसे में जलजन्य प्राणी व जंतुओं का जिंदा रहना मुश्किल है। पानी से बदबू आने लगती है। इसके अलावा सीओडी-बीओडी की मौजूदगी ने भी कई सारे सवाल उठा दिए हैं।
भू-गर्भ जलस्तर के लिए खतरनाक
एक समय उपराजधानी को झीलों का शहर माना जाता था, लेकिन जिस रफ्तार से शहर में तालाब की स्थिति खराब हुई, वह भयावह है। गांधीसागर, सोनेगांव, सक्करदरा तालाब सूखे पड़े हैं। नाईक व लेंडी तालाब अदृश्य स्थिति में है और यह स्थिति शहर में भू-गर्भ के लिए खतरनाक माना जा रहा है। तालाब के होने से शहर का भू-गर्भ स्तर बना रहता है, जलस्रोतों में पानी रहता है। तालाब के नहीं होने से इन स्रोतों के बेकाम होने का संकट बढ़ सकता है।
तालाब को बचाना जरूरी
कौस्तव चटर्जी, संस्थापक, ग्रीन विजिल फाउंडेशन के मुताबिक डीओ शून्य पाए जाने पर तालाब का पानी साफ करना मुश्किल है। ऐसे में तालाब को खाली कर उसकी पूरी मिट्टी निकालनी होगी। जिसके बाद सीवेज को रोकना होगा। उसके बाद ही तालाब के पुनरूज्जीवन की संभावना है। फिलहाल गांधीसागर, सोनेगांव, सक्करदरा खोदकर रखे गए हैं, जिसकी हालात देखने के बाद और ज्यादा चिंता हो रही है।
जीव-जंतु का जिंदा रहना मुश्किल
वैज्ञानिक, नीरी के मुताबिक तालाब में ऑक्सीजन नहीं होना गंभीर संकेत है। जलजन्य या जीव-जंतु का जिंदा रहना मुश्किल है। ऐसे में पानी से बदबू आती है। सर्वाइव करना मुश्किल होता है। तालाब को बचाने के लिए इन सब चीजों को रोकना होगा। सीवेज को डायवर्ट करना होगा।
तालाब पुनर्जीवित करने प्रस्ताव तैयार
राजीव गायकवाड़, मुख्य अभियंता के मुताबिक लेंडी तालाब की स्थिति को देखते हुए उसे पुनर्जीवित करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। 14 करोड़ रुपए का यह प्रस्ताव है। आदित्य कंस्ट्रक्शन कंपनी को यह काम दिया गया है। काम शुरू हो गया है। एक साल में उसे पूरा करना है। तालाब को बचाने वहां का अतिक्रमण हटाकर सीवेज रोका जाएगा। तालाब की मिट्टी, मलबा निकलकर वहां वॉक कम्पाउंड, पाथ-वे, गार्ड रूम, फेंसिंग, एज वॉल, विसर्जन टैंक सहित अन्य काम किए जाएंगे।
Created On :   7 Aug 2023 6:24 PM IST