दिशा की सख्ती से शिक्षा की दुर्दशा, दूसरी से 8वीं कक्षा तक का एक ही पाठ्यक्रम

दिशा की सख्ती से शिक्षा की दुर्दशा, दूसरी से 8वीं कक्षा तक का एक ही पाठ्यक्रम
  • जिप के स्कूलों में उपक्रम
  • दूसरी से 8वीं कक्षा तक का एक ही पाठ्यक्रम

डिजिटल डेस्क, नागपुर. जिला शिक्षण व प्रशिक्षण संस्था का महत्वाकांक्षी उपक्रम "दिशा' पर अमल करने के लिए 90 दिन नियमित पाठ्यक्रम का बोरिया-बिस्तर लपेट दिया गया है। यूं कहें कि दिशा की सख्ती से शिक्षा की दुर्दशा हो रही है। इस उपक्रम के लिए जिला परिषद स्कूलों को प्रयोगशाला बनाया गया है।

3 संक्षिप्त पाठ्यक्रम : डायट ने शिक्षकों के लिए हस्त पुस्तक तैयार की है। पुस्तक में मराठी, अंगरेजी और गणित के संक्षिप्त पाठ्यक्रमों का समावेश है। उसी विषय की दिन में 3 कक्षाएं लेने की सूचना स्कूलों को दी गई है। एक विषय डेढ़ घंटे पढ़ाया जाएगा। यानी दिन में सिर्फ 3 विषय पढ़ाए जाएंगे। उसी में पूरा दिन निकल जाने से दूसरे विषय पढ़ाने का समय ही नहीं रहेगा। हैरत इस बात को लेकर है कि दूसरी से आठवीं कक्षा के लिए एक ही पाठ्यक्रम है। डायट के इस फरमान पर शिक्षक, मुख्याध्यापक, स्कूल प्रबंधन समिति तथा पालकों में नाराजगी है।

शिक्षकों में संभ्रम : विद्यार्थियों की बौद्धिक क्षमता के आधार पर कक्षावार पाठ्यक्रम तैयार किए जाते हैं। नियमित पाठ्यक्रम में मराठी, इंग्लिश, हिंदी, गणित, विज्ञान, सामाजिक शास्त्र आदि विषयों का समावेश है। दिशा के पाठ्यक्रम में सिर्फ मराठी, अंगरेजी और गणित का समावेश है। उसमें भी दूसरी से आठवीं कक्षा के लिए एक ही पाठ्यक्रम बनाया है। यानी जो पाठ्यक्रम दूसरी के विद्यार्थियों को पढ़ाया जाएगा, वहीं आठवीं कक्षा के विद्यार्थी को पढ़ाया जाएगा। इसमें कक्षावार निर्धारित नियमित पाठ्यक्रम को नजरअंदाज किया गया है। डायट की पसंद का पाठ्यक्रम पढ़ाएं या नियमित शिक्षा विभाग ने निर्धारित किया पाठ्यक्रम पढ़ाएं, इस बात को लेकर शिक्षकों में संभ्रम है।

सभी को एक तराजू में तौला बताया जाता है कि दिशा उपक्रम के माध्यम से विद्यार्थियों का गुणवत्ता स्तर जांचने के लिए यह प्रयोग किया जा रहा है। जानकारों का मानना है कि शैक्षणिक गुणवत्ता में कमजोर विद्यार्थियों के लिए यह उपक्रम ठीक है। सभी को एक ही तराजू में तौलकर होशियार विद्यार्थियों की गुणवत्ता पर प्रतिकूल परिणाम हो सकता है।

स्तर सुधारने ली गई पूर्व परीक्षा दिशा उपक्रम पर अमल के लिए हाल ही में पूर्व परीक्षा ली गई। दूसरी से आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों को एक समान प्रश्नपत्र देकर हल करा लिए। प्राप्त अंकों के आधार पर विद्यार्थियाें को चार स्तर में विभाजित किया गया। इसके पीछे क्या निष्कर्ष है, यह शिक्षकों के समझ से परे है।

विद्यार्थियों का शैक्षणिक नुकसान

लीलाधर ठाकरे, जिलाध्यक्ष, महाराष्ट्र राज्य प्राथमिक शिक्षक समिति के मुताबिक विद्यार्थियों की शैक्षणिक गुणवत्ता बढ़ाने चलाए जा रहे दिशा उपक्रम से उल्टे विद्यार्थियों का शैक्षणिक नुकसान होने का खतरा है। पढ़ाई में कमजोर विद्यार्थियों के लिए अलग से मार्गदर्शन करने पर गुणवत्ता बढ़ाने में उपयोगी हो सकता है, परंतु सभी विद्यार्थियों को लागू किया गया है। इसे लेकर शिक्षक और पालकों में असंतोष है। उपक्रम पर अमल की पद्धति में सुधार करना चाहिए। अन्यथा शिक्षक समिति इसके विरोध में आवाज उठाएगी।


Created On :   6 Aug 2023 7:25 PM IST

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