शिक्षा के अधिकार से मुख्याध्यापिका ने किया वंचित

शिक्षा के अधिकार से मुख्याध्यापिका ने किया वंचित
जन्म प्रमाणपत्र, आधार कार्ड के अभाव में प्रवेश देने से इनकार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। काेई भी बालक शिक्षा से वंचित न रहे, इसलिए शिक्षा का अधिकार कानून बनाया गया। महिला व बाल विकास विभाग ने बेसहारा बालक को स्कूल में दाखिल करने ले जाने पर सावनेर नगर परिषद स्कूल की मुख्याध्यापिका ने बिना दस्तावेज के प्रवेश देने से मना कर बालक के शिक्षा के अधिकार पर कुठाराघात किया है। जिला बाल संरक्षण समन्वयक प्रसेनजीत गायकवाड़ ने मुख्याध्यापिका की भूमिका पर आपत्ति दर्ज की है।

महिला व बाल विकास की मुहिम में मिला बालक : जिला महिला व बाल िवकास विभाग ने कुछ महीने पूर्व सड़क पर भीख मांगने या मजदूरी करने वाले बालकों की खोज मुहिम चलाई। इस दरमियान मिले एक बाल को सावनेर के शरणस्थल बालगृह में रखा गया। उसे स्कूल में दाखिल करने के लिए नगर परिषद के हिंदी स्कूल ले जाया गया। उसका जन्म प्रमाणपत्र और आधार कार्ड नहीं रहने से प्रवेश मिलेगा या नहीं, इस आशंका से जिला बाल संरक्षण समन्वयक प्रसेनजीत गायकवाड़ से संपर्क किया। उनके साथ बालक को स्कूल भेजा गया। दस्तावेज के बिना मुख्याध्यापिका फरिदा सैयद ने प्रवेश देने से मना कर दिया। गायकवाड़ ने उन्हें समझाने का प्रयास किया, लेकिन वरिष्ठों ने बिना दस्तावेज के प्रवेश देने से मना करने का जवाब देकर हाथ खड़े कर दिए।

वरिष्ठों से की शिकायत : मुख्याध्यापिका समझने की मानसिकता में नहीं रहने पर गायकवाड़ ने गट शिक्षाधिकारी से संपर्क किया, फिर भी मुख्याध्यापिका मानने के लिए तैयार नहीं हुई। स्कूल प्रवेश के नियम, कानून समझाने पर भी नहीं मानने पर स्कूल का विजिट बुक मांगा, वह देने से भी इनकार किया। अंत में मुख्याधिकारी को अवगत कराने पत्र लिखने पर ‘मेरी शिकायत कर रहे हो’, यह कहते हुए पत्र पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया। मुख्याध्यापिका की अड़ियल भूमिका से गायकवाड़ ने सावनेर नगर परिषद, जिला महिला व बाल विकास अधिकारी तथा जिलाधिकारी कार्यालय को पत्र देकर अवगत कराया है।

बाल गुनाहगारी को मिलेगा बढ़ावा : बालकों को शिक्षा के प्रवाह से दूर रहने पर बच्चे गलत संगत में आकर नशे का शिकार हो जाएंगे। आपराधिक प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलेगा। भविष्य में समाज को खतरा होगा। संभावित खतरों को टालने के लिए बच्चों को शिक्षा के प्रवाह से जोड़ना आवश्यक है। ऐसी नौबत न आए, इसलिए मुख्याध्यापक, शिक्षक, केंद्र प्रमुख तथा अधिकारियों को गंभीर होना चाहिए। मुख्याध्यापक, शिक्षकों को प्रशिक्षण देना व उन्हें सहभागी होने के लिए सख्ती करनी चाहिए। - प्रसेनजीत गायकवाड़, जिला बाल संरक्षण समन्वयक

Created On :   29 Jun 2023 2:13 PM IST

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