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निधि के अभाव में हरित क्रांति संकट में
- पौधारोपण के लिए सामाजिक वनीकरण विभाग कर रहा जद्दोजहद
- कोरोनाकाल में भी नहीं हो पाया था पौधारोपण
नीरज दुबे , नागपुर । प्रति वर्ष बरसात के मौसम में जून से अक्टूबर तक राज्य भर में पौधारोपण अभियान संचालित किया जाता है। वन विभाग और सामाजिक वनीकरण विभाग के संयुक्त तत्वावधान में पौधारोपण को पूरा किया जाता है, लेकिन इस साल सामाजिक वनीकरण विभाग को पौधारोपण अभियान के लिए राज्य भर में निधि नहीं मिलने से अभियान खटाई में नजर आ रहा है।
ऐसा दूसरी बार होगा : इस साल जिले में करीब 368 हेक्टेयर क्षेत्र में 6.50 लाख पौधारोपण के लिए अक्टूबर में राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा गया था। पौधारोपण और तीन सालों तक देखभाल, संवर्धन के लिए 3.80 करोड़ की निधि की मांग की गई थी, लेकिन राज्य सरकार ने पौधारोपण के लिए निधि नहीं दी है। ऐसे में अब 12 लाख से अधिक पौधों को नर्सरी में रख दिया गया है। पूरे राज्य में एक भी जिले में सामाजिक वनीकरण विभाग से पौधारोपण नहीं हो पाएगा। अकेले उपराजधानी में ही 180 हेक्टेयर रास्ते किनारे, मैदानी क्षेत्र और 188 हेक्टेयर ग्राम पंचायतों में 1.50 लाख पौधाें का रोपण करना था। राज्य में 1982 में गठित सामाजिक वनीकरण विभाग के इतिहास में दूसरी मर्तबा पौधारोपण नहीं हो पाएगा। इससे पहले कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाउन में साल 2020 में पौधारोपण नहीं हो पाया था।
-सामाजिक वनीकरण विभाग के माध्यम से जिले में पिछले तीन साल में 22 लाख 61 हजार 447 पौधे लगाए गए हैं।
-2019 में 10,22,990 पौधों में से 48 फीसदी यानी करीब 4,99,099 पौधे जीवित रहे।
-2020 में कोरोना लॉकडाउन के चलते पौधारोपण नहीं हो पाया, ऐसे में केवल पुराने पौधों के संवर्धन को पूरा किया गया।
-2021 में 1.30 लाख पौधों के रोपण में से 86 फीसदी यानी करीब 1.13 लाख पौधे सुरक्षित रहे, जबकि पिछले साल 1,11,691 पौधों में से 97 फीसदी यानी करीब 1,08,457 पौधे सुरक्षित रहे है।
लक्ष्य अब ताक पर
राज्य में 20 फीसदी वनक्षेत्र को 33 फीसदी तक करने का लक्ष्य रखा गया है। करीब 7 साल पहले राज्य सरकार ने शतकाेटी वृक्षारोपण अभियान में 33 करोड़ पौधारोपण भी किया था।
प्रशासकीय लापरवाही का नतीजा
राज्य में सामाजिक वनीकरण और वनविभाग को पौधारोपण के लिए संयुक्त रूप से निधि का आवंटन का बड़े पैमाने पर वनयोजना (मैसिव आफ फारेस्ट स्कीम) में होता है। कोरोना संक्रमण के दौरान राज्य सरकार ने पौधारोपण के लिए करीब 30 फीसदी निधि कटौती की थी। ऐसे में आवंटित निधि में से सामाजिक वनीकरण विभाग 30 फीसदी और वनविभाग को 70 फीसदी रकम ही मिल पाई थी। इसके बाद सामाजिक वनीकरण विभाग पुणे मुख्यालय के आला अधिकारियों ने अपनी हिस्सेदारी की निधि को बढ़ाने के लिए कोई भी प्रयास नहीं किया। इसके चलते लॉकडाउन के तीसरे साल में निधि की कमी का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
13 तहसील की 16 नर्सरी में पड़े हैं 12 लाख पौधे
जिले में सामाजिक वनीकरण विभाग की 13 तहसील में 16 नर्सरी मौजूद हैं। इन नर्सरी में पिछले साल भर में 12 लाख पौधों को रोपण के लिए तैयार किया गया है। इन पौधों को अब 15 जून से 30 अक्टूबर तक आयोजित वनमहोत्सव में पौधारोपण प्रोत्साहन योजना में देने का प्रयास किया जाएगा।
पौधों के संवर्धन और संरक्षण का प्रयास जारी
पूरे राज्य में सामाजिक वनीकरण विभाग से पौधारोपण करने का प्रयास हो रहा है। तीन साल पहले कोरोना संक्रमण के दौरान निधि कटौती से दिक्कत हुई है, लेकिन पौधारोपण केवल एक मौसम के लिए नहीं होकर तीन सालांे तक सतत चलनेवाली प्रक्रिया है। ऐसे में अब भी पुराने पौधारोपण का संरक्षण और संवर्धन करने का प्रयास हो रहा है।-विवेक खांडेकर, अप्पर प्रधान मुख्य वनसंरक्षक, पुणे
Created On :   9 Jun 2023 2:58 PM IST