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चिंता: तेजी से बढ़ रहा ओरल कैंसर , हर साल एक फीसदी इजाफा
चंद्रकांत चावरे , नागपुर । पिछले कुछ साल में कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ी है। इसमें सर्वाधिक तेजी से मुख (ओरल) कैंसर का प्रमाण बढ़ा है। हर साल यह प्रमाण एक फीसदी से अधिक बढ़ रहा है। पांच साल पहले कुल मरीजों में मुख कैंसर के मरीजों की संख्या 25 फीसदी थी। अब यह संख्या बढ़कर 30 फीसदी हो चुकी है। शहर के तीन अस्पतालों में आने वाले कैंसर के संदिग्ध मरीजों की संख्या 12,200 है। इनमें से 30 फीसदी यानी 3660 मरीज मुख कैंसर के शिकार होते हैं। इनमें तीसरे चरण के मरीजों का प्रमाण 50 फीसदी और चौथे चरण के मरीजों का प्रमाण 25 फीसदी बताया गया है। चौथे चरण के मरीजों में 20 फीसदी मरीज अधिकतम पांच साल तक और 80 फीसदी मरीज अधिकतम दो साल तक ही जी पाते हैं।
5500 में से 1650 ओरल कैंसर ग्रस्त : कैंसर रोगियों के लिए धर्मदाय अस्पताल के रूप में राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज कैंसर अस्पताल सेवारत है। अस्पताल के निदेशक डॉ. करतार सिंह ने बताया कि रातुम कैंसर अस्पताल में सालाना 5500 कैंसर के संदिग्ध मरीज जांच व उपचार के लिए आते हैं। इनमें से 30 फीसदी यानी 1650 मरीज मुख कैंसर से पीड़ित होते हैं। इन मरीजों में 10 फीसदी (165) पहले चरण के, 15 फीसदी (247) दूसरे चरण के, 50 फीसदी (825) तीसरे चरण के और 25 फीसदी (412) चौथेे चरण के होते हैं। इनमें तीसरे चरण के मरीज 5 साल या इससे अधिक समय तक उपचार के सहारे जीवित रहते हैं, लेकिन चौथे चरण के मरीजों की जीवन यात्रा अधिकतम 5 साल की ही होती है। चौथे चरण के मरीजों में 20 फीसदी यानी 82 मरीज अधिकतम 5 साल तक जीवित रहते हैं। वहीं 80 फीसदी यानी 330 मरीज अधिकतम दो साल में ही दम तोड़ देते हैं।
डेंटल में सालाना 4800 संदिग्ध : दातों, जबड़ों व मुंह से संबंधित बीमारियों का की जांच व उपचार करने के लिए शासकीय दंत चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (डेंटल) में भी मरीज पहुंचते हैं। यहां सालाना 4800 मुख कैंसर के संदिग्ध मरीजों का समावेश होता है। इनमें से 30 फीसदी मरीज यानि 1440 मरीज मुख कैंसर से ग्रस्त होते हैं। इनमें पहले चरण के 144, दूसरे चरण के 216, तीसरे चरण के 720 और चौथे चरण के 360 मरीज होते हैं। इस अस्पताल में आने वाले चौथे चरण के मरीजों में से 82 मरीज अधिकतम 5 साल और 288 मरीज अधिकतम 2 साल तक जीवित रहते हैं।
पहले-दूसरे चरण का उपचार संभव : मुख कैंसर होने का प्रमुख कारण इस बीमारी के लिए गुटका, सुगंधित तंबाकू, खर्रा आदि व्यसन जिम्मेदार है। पहले व दूसरे चरण में मरीज आने पर उनका उपचार संभव हो जाता है। नियमित उपचार से उनका जीवन सुरक्षित हो जाता है, लेकिन सर्वाधिक मरीज तीसरे व चौथे चरण में आते हैं। तीसरे चरण के मरीजों का उपचार शुरू होने पर उनके सुधार की गुंजाइश होती है। चौथे चरण में पहुंचने पर रोगियों के जीवन की अधिकतम आयु पांच साल ही बचती है। पिछले तीन साल में मुख कैंसर के संदिग्धोें का प्रमाण 5 फीसदी तक बढ़ा हैं।
Created On :   3 Oct 2023 10:59 AM IST