सभी स्कूलों की फीस एक जैसी नहीं की जा सकती है

सभी स्कूलों की फीस एक जैसी नहीं की जा सकती है
  • फीस निर्धारण का अधिकार है
  • सभी स्कूलों की फीस एक जैसी नहीं की जा सकती है

डिजिटल डेस्क, नागपुर. बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ से शहर के निजी स्कूल और कॉलेजों को बड़ी राहत मिली है। हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि विविध स्कूलों द्वारा विद्यार्थियों को अलग-अलग तरीके की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं, इसलिए सभी स्कूलों को एक जैसा फीस प्रारूप बनाने का आदेश नहीं दिया जा सकता। हाईकोर्ट ने जागरूक पालक समिति के पदाधिकारियों द्वारा दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद यह फैसला दिया है। जिससे बीते कई दिनों से याचिकाकर्ता समिति और विविध स्कूलों के बीच फीस काे लेकर जारी टकराव नया मोड़ ले सकता है।

फीस प्रारूप का विरोध : याचिकाकर्ता के अनुसार उन्होंने "जागरूक पालक समिति' नामक एक संगठन बनाया है, जिसके जरिए निजी स्कूलों के अनाप-शनाप फीस प्रारूप के खिलाफ आवाज उठाई जाती है। याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर विविध स्कूलों के अलग-अलग फीस प्रारूप का विरोध किया था। दलील दी गई थी कि सभी निजी स्कूल अपने मनमाने ढंग से फीस वसूलते हैं। इन सभी स्कूलों का फीस प्रारूप एक जैसा होना चाहिए।

फीस निर्धारण का अधिकार है

मामले में नागपुर के विभागीय शिक्षा उपसंचालक ने कोर्ट में शपथपत्र दिया था कि निजी स्कूल और कॉलेजों के शुल्क निर्धारण के लिए राज्य में महाराष्ट्र एजुकेशनल इंस्टीट्यूट फीस रेगुलेशन एक्ट 2011 लागू है। इसी अधिनियम के तहत स्कूल और कॉलेज स्वायत्त संस्थान माने गए हैं, जिन्हें अपनी फीस निर्धारित करने का अधिकार है। इसी अधिनियम में फीस पर आपत्ति होने पर शिकायतों की सुनवाई का भी प्रावधान है। जिसका सभी पालक उपयोग कर सकते हैं। मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने यह निरीक्षण दिया है।

Created On :   21 Aug 2023 6:50 PM IST

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