आर्थिक बोझ : ई-फाइलिंग, ई-रजिस्ट्रेशन के लिए अतिरिक्त पैसे लेगी सरकार

आर्थिक बोझ : ई-फाइलिंग, ई-रजिस्ट्रेशन के लिए अतिरिक्त पैसे लेगी सरकार
  • गुप्त रास्तों से नागरिकों से वसूली की तैयारी
  • डाक से भेजे जाने वाले लाइसेंस स्मार्ट कार्ड के खर्च पर जीएसटी
  • तिजोरी भरने तलाशे जा रहे नए-नए रास्ते सरकार ने दिया मेंटेनेंस खर्च का नाम

डिजिटल डेस्क, नागपुर. महंगाई से हर कोई परेशान है। टमाटर 150 से 200 रुपए किलो बिक रहा है। अन्य जीवनावश्यक वस्तुओं के दाम आसमान छू रहे हैं। इस बीच नागरिकों को राहत देने के बजाए सरकार ने अपनी तिजोरी भरने के लिए गुप्त रास्तों से वसूली बढ़ा दी है, जिसका प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष असर नागरिकों की जेब पर पड़ने वाला है। सरकारी विभागों में ई-फाइलिंग, ई-रजिस्ट्रेशन के लिए अब तक कोई शुल्क नहीं लिया जाता था, लेकिन अब सरकार ने ई-फाइलिंग और ई-रजिस्ट्रेशन के लिए भी शुल्क वसूलने का निर्णय लिया है। इसे मेंटेनेंस खर्च से जोड़ा गया है। यही नहीं आपके घर डाक (पोस्ट) से पहुंचने वाले वाहन लाइसेंस या स्मार्ट कार्ड पंजीयन प्रमाणपत्र पर भी 18 प्रतिशत जीएसटी लगाने का निर्णय लिया गया है। इसी तरह कई अन्य विभागों में छुपे टैक्स लगाकर सरकार ने वसूली का अभियान शुरू किया है। इससे सीधे आम नागरिकों की जेब ढीली होगी।

ऐसे लगेगा शुल्क

ई-रजिस्ट्रेशन अंतर्गत लिव एंड लाइसेंस करार के लिए 300 रुपए

ई-रजिस्ट्रेशन पद्धति से फ्लैट बिक्री करारनाम के पंजीयन करते समय 1000 रु.

ई-फाइलिंग वर्जन-1 में होने वाली ई-फाइलिंग सेवा के लिए 300 रुपए शुल्क

अब तक नहीं लगता था शुल्क

जुलाई में युति सरकार का विस्तार होने के बाद वित्त मंत्रालय की कमान उपमुख्यमंत्री अजित पवार को सौंपी गई है। इसके बाद राज्य की आर्थिक स्थिति पटरी पर लाने के उद्देश्य से अनेक छुपे रास्तों से पैसा जुटाने की तरकीबें खोजी जा रही हैं। इस दिशा में सरकारी विभागों के अलग-अलग माध्यमों पर नजर दौड़ाई गई है। फिलहाल सरकार डिजिटाइजेशन पर जोर दे रही है, लेकिन अभी तक यह शुल्क मुक्त था। ई-रजिस्ट्रेशन या ई-फाइलिंग के लिए शुल्क नहीं लगता था। डिजिटाइजेशन की वजह से पारंपरिक पद्धति से पंजीयन या फाइलिंग से मिलने वाले शुल्क में कमी आई है। इससे मिलने वाली रकम आने वाले दिनों में और कम होने वाली है। सरकार का मानना है कि ई-रजिस्ट्रेशन, ई-फाइलिंग के लिए सॉफ्टवेयर देखभाल, उसके अपडेशन, सर्वर, स्टोरेज, ई-रजिस्ट्रार हार्डवेयर व कनेक्टिविटी पर खर्च, सूचना के प्रसार-प्रचार व प्रसिद्धी पर खर्च बढ़ेगा। इससे यह खर्च निकालने के लिए सरकार ने ई-रजिस्ट्रेशन, ई-फाइलिंग सेवा के लिए शुल्क लगाने का निर्णय लिया है।

गौण खनिज पर नजर, नागपुर तीसरा बड़ा केंद्र

गौण खनिज से मिलने वाला राजस्व, सरकार का सबसे बड़ा स्रोत है, लेकिन जितनी वसूली होती है, उतनी रकम सरकारी खजाने में जमा नहीं होती है। इस पर सीधी नजर रखने के लिए सरकार ने ‘ग्रास’ नाम से अलग से मद तैयार किया है। अब अधिकारियों को गौण खनिज से मिलने वाली रकम इसी मद में जमा करनी होगी। इसके लिए सरकार ने 7295.10 करोड़ का लक्ष्य रखा है। नागपुर विभाग को तीसरा बड़ा टारगेट दिया गया है। नागपुर विभाग को 736.70 करोड़ रुपए जमा करके देना है।

यहां 50 रुपए की जगह देने होंगे 58 रुपए

आरटीओ से भेजे जाने वाले पार्सल पर भी 18 प्रतिशत जीएसटी लगाने की मंजूरी दी गई है। गृह (परिवहन) विभाग द्वारा लाइसेंस प्रमाणपत्र व पंजीयन प्रमाणपत्र नागरिकों को पोस्ट विभाग द्वारा घर पर भेजा जाता है। इसके लिए डाक विभाग के साथ परिवहन आयुक्त कार्यालय द्वारा हर वर्ष सामंजस्य करार किया जाता है। यह अभी तक जीएसटी मुक्त था। अब भेजे जाने वाले पोस्ट पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाई जाएगी यानी जिसके लिए अभी 50 रुपए लगते थे, उसके लिए अब जीएसटी सहित 58 रुपए भुगतान करने होंगे। जानकारों ने बताया कि ऐसे अनेक विभाग हैं, जिनमें सेवा के नाम पर सरकार ने चोरी-छुपे अपनी तिजोरी भरनी शुरू कर दी है।

Created On :   31 July 2023 5:27 PM IST

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