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पीओपी मूर्तियों को लेकर नीति स्पष्ट करे सरकार
- पीओपी मूर्तियों को लेकर अदालत ने पूछा
- नीति स्पष्ट करे सरकार
- पिछले वर्ष अस्थायी नीति तैयार की थी
डिजिटल डेस्क, नागपुर. आगामी गणेशोत्सव को देखते हुए पीओपी की मूर्तियों पर लगाए गए प्रतिबंध को किस प्रकार लागू किया जाएगा, इस पर बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने राज्य सरकार से 2 सप्ताह में शपथ-पत्र मांगा है। दरअसल, हाईकोर्ट ने पीओपी मूर्तियों को लेकर सू-मोटो जनहित याचिका दायर कर रखी है। वर्ष 2012 में हाई कोर्ट ने आदेश जारी करके राज्य में पीओपी की मूर्तियों पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन इसके बाद भी राज्य में धड़ल्ले से पीओपी की धार्मिक मूर्तियों की बिक्री जारी रही। इन मूर्तियों के नदी-तालाबों में विसर्जन से पर्यावरण को काफी नुकसान भी पहुंचा। स्थानीय समाचार पत्रों मंे इस मुद्दे के प्रकाशित होने के बाद हाई कोर्ट ने इसका संज्ञान लिया। सू-मोटो जनहित याचिका के माध्यम से इस विषय पर लगातार सुनवाई जारी है।
पिछले वर्ष अस्थायी नीति तैयार की थी
पिछले वर्ष अगस्त में राज्य सरकार ने पीओपी मूर्तियों को लेकर अस्थाई नीति तैयार की थी, जिसमें केवल प्राकृतिक तरीके से बनी और पूरी तरह नष्ट होने वाली मूर्तियों को अनुमति दी गई थी। पीओपी की मूर्तियां प्रतिबंधित की गई थी। मूर्तियों के अंदर भरने, मूर्ति के आभूषण बनाने के लिए भूसे, सूखे फूल और प्राकृतिक रंगों के उपयोग को ही अनुमति, केमिकल रंग या डाई प्रतिबंधित की गई थी। इसी तरह, मूर्ति सजाने या पंडाल में सिंगल यूज प्लास्टिक या थर्माकॉल पर भी प्रतिबंध लगाया गया था। 100 से अधिक मूर्तियां बनाने वाले मूर्तिकारों को मनपा या स्थानीय स्वराज संस्था से लाइसेंस प्राप्त करना अनिवार्य किया गया था, लेकिन अब तक राज्य सरकार इस संबंध में एक स्थाई नीति लागू नहीं कर पाई है। इसके बाद हाई कोर्ट ने उन्हें दो सप्ताह में अपनी स्थिति स्पष्ट करने का आदेश दिया है। मामले में अधिवक्ता श्रीरंग भंडारकर न्यायालय मित्र की भूमिका में हैं। मनपा की ओर से एड.जैमिनी कासट ने पक्ष रखा।
Created On :   13 July 2023 6:04 PM IST