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उड़ान: जन्मदात्री डस्टबिन में छोड़ भागी, अनाथाश्रम से हौसलों की उड़ान जागी
डिजिटल डेस्क, नागपुर। जन्म से आंखों की रोशनी नहीं है। अंधत्व को मात देकर उसने हौसलों से उड़ान भरी। एमपीएससी गट ब और गट क पूर्व परीक्षा उत्तीर्ण होकर अपनी बौद्धिक क्षमता का लोहा मनवाया। उस कर्तव्यपरायण व सफल बहुमुखी का नाम है माला शंकरबाबा पापलकर।
जिद के आगे जीत है : जन्मदाता ने उसे कचरे के डिब्बे में छोड़ दिया। अनाथाश्रम में रही, लेकिन उसे जिद नहीं हारी। जिद के आगे जीत है, इस सूत्र को उसने अपना हथियार बनाया। अमरावती के विदर्भ ज्ञान विज्ञान महाविद्यालय से कला संकाय में स्नातक उपाधि प्राप्त करने के बाद साल 2019 से स्पर्धा परीक्षा में अपने-आप को सिद्ध करने का सफर शुरू किया। 12 सितंबर को महाराष्ट्र राज्य लोकसेवा आयोग के गट ब और गट क की पूर्व परीक्षा में उत्तीर्ण होकर समाज समाज को आईना दिखाया है। उसने अपनी सफलता का श्रेय शंकरबाबा पापलकर, स्पर्धा परीक्षा मार्गदर्शक प्रा. अमोल पाटील, उच्च शिक्षा में सहयोग करनेवाले प्रकाश टोपले को दिया।
कचरे के डिब्बे में मिली थी : उसके माता-पिता ने बचपन में जलगांव रेलवे स्टेशन पर कचरे के डिब्बे में छोड़कर रफूचक्कर हो गए। अमरावती जिले के वझ्झर स्थित अनाथाश्रम में पली बढ़ी। अनाथाश्रम के संचालक शंकरबाबा पापलकर ने उसे अपना नाम दिया। वहीं उसने पढ़-लिखकर एमपीएससी परीक्षा में सफलता प्राप्त की है। माला ने शासकीय सेवा में जनसेवा करने का संकल्प व्यक्त किया। आदिवासी अपर आयुक्त रवींद्र ठाकरे को माला नागपुर आने की खबर पता चली। उन्होंने उसे अपने कार्यालय बुलाया और मिठाई खिलाकर मुंह मीठा कराया अौर पुष्पगुच्छ देकर उसका सत्कार किया। इस अवसर पर अनाथाश्रम की वार्डन वर्षा काले, माला की सहेली ममता, वैशाली, पद्मा और शिवकुमार पापलकर उपस्थित थे।
Created On :   14 Sept 2023 1:10 PM IST