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एक घोंसले के संवर्धन के लिए 10 हजार रु. मुआवजा
डिजिटल डेस्क, नागपुर। सारस पक्षियों के संवर्धन पर केंद्रित सू-मोटो जनहित याचिका पर बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में सुनवाई हुई, जिसमें राज्य सरकार ने शपथपत्र दायर करके हाई कोर्ट को बताया कि भंडारा और गोंदिया जिलों में सारस संवर्धन प्रकल्प से प्रभावित किसानों के लिए एक योजना लाई गई है, जिसके अनुसार अगर सारस पक्षी किसी किसान के खेत में घोंसला बनाते हैं, तो उस घोसले का संवर्धन करने के लिए किसान को 10 हजार रुपए प्रति घोंसले के रूप में मुआवजा राशि मिलेगी। इसके लिए बजट सत्र 2023-24 के बजट में 3 लाख रुपए का प्रावधान भी किया गया है। दरअसल लुप्त हो रहे सारस पक्षियों के संवर्धन पर हाई कोर्ट में सुनवाई जारी है। गोंदिया वन परिक्षेत्र के उप वन संरक्षण प्रमोद कुमार पंचभाई ने यह शपथपत्र दायर किया। साथ ही सरकार द्वारा किए जा रहे अन्य प्रयत्नों की भी जानकारी दी।
पिछले 4 वर्ष से चंद्रपुर जिले में नहीं आ रहे
बताया कि चंद्रपुर, गोंदिया और भंडारा जिले में बीते साल भर से सर्वेक्षण किया जा रहा है, जिसमें पता चला कि बीते 4 वर्षों में चंद्रपुर जिले में सारस पक्षी नहीं आ रहे हैं, इनकी मौजूदगी भंडारा और गोंदिया जिलों में है, इसलिए मुआवजे का लाभ सिर्फ इन दो जिलों के विद्यार्थियों को ही मिलेगा। इतना ही नहीं सारस पक्षियों के कारण अगर किसान की फसल को नुकसान होता है, तो उसकी नुकसान भरपाई के लिए प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने 27 जनवरी 2022 को मंत्रालय को प्रस्ताव भी भेजा है। जिस पर फैसला अपेक्षित है। अस्थाई प्रबंध के रूप में नवेगांव-नागझिरा व्याघ्र संवर्धन प्रतिष्ठान की मदद से मुआवजे की व्यवस्था की गई है। मामले में एड. राधिका बजाज न्यायालय मित्र की भूमिका में है।
हिस्ट्री सोसाइटी से वन विभाग ने किया करार
महाराष्ट्र के सारस पक्षियों पर संशोधन, निरीक्षण और संवर्धन के लिए मुंबई की प्रासिद्ध बॉम्बे नेचरल हिस्ट्री सोसाइटी के साथ वन विभाग ने करार किया है। संस्था द्वारा पेश किए गए 85 लाख 87 हजार 700 रूपए के अनुमानित खर्च को भी राज्य सरकार ने मंजूरी दे दी है। यह प्रकल्प गोंदिया, भंडारा और चंद्रपुर जिलों में चलाया जाएगा। इस कार्य में मध्यप्रदेश सरकार का भी सहयोग लिया जाएगा।
Created On :   18 Aug 2023 12:00 PM IST