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हाई वोल्टेज तारों से सारस पक्षियों को बचाना जरूरी
डिजिटल डेस्क, नागपुर। सारस पक्षियों के खत्म होते प्राकृतिक अधिवास के संवर्धन के मुद्दे पर केंद्रित सू-मोटो जनहित याचिका पर बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में सुनवाई हुई। न्यायालय मित्र एड.राधिका बजाज ने अब तक हाई कोर्ट द्वारा जारी विविध आदेशों पर कितना अमल हुआ इसका ब्योरा रखा। न्यायालय मित्र ने कोर्ट को बताया कि बिजली के हाई वोल्टेज तारों से सारस पक्षियों को दूर भेजने के लिए डायवर्टर लगाने का कार्य अब तक पूरा नहीं हुआ है। ऐसे ही गोंदिया, भंडारा और चंद्रपुर में सारस पक्षियों की कॉलर टैग के कार्य पर भी सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की है। भू-संवर्धन के कारण जिन किसानों पर प्रभाव पड़ा, उनके मुआवजे संबंधी नीति भी अब तक तय नहीं हो सकी है। न्यायालय मित्र की इस जानकारी के बाद हाई कोर्ट ने सभी प्रतिवादियों को दो सप्ताह में अपना उत्तर प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।
संयुक्त समिति बनाने की जरूरत
सारस पक्षियों के खत्म होते प्राकृतिक निवास की समस्या को गंभीरता से लेते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने सू-मोटो जनहित याचिका दायर की है। स्थानीय समाचार पत्रों में प्रकाशित खबर के आधार पर यह निकल कर आया कि सारस पक्षियों का प्राकृतिक आवास महाराष्ट्र के भंडारा, चंद्रपुर, गोंदिया और इसकी सीमा से लगे मध्यप्रदेश के बालाघाट क्षेत्र में अधिक हैं। ऐसे में इनके संवर्धन के लिए दोनों राज्यों को आगे आकर एक संयुक्त समिति बनाने की जरूरत है। हाई कोर्ट ने राज्य के प्रधान मुख्य वन संरक्षक को इस दिशा में कदम आगे बढ़ाने के आदेश दिए हैं। मामले में एड. राधिका बजाज न्यायालय मित्र की भूमिका में हैं। उल्लेखनीय है कि विदर्भ क्षेत्र से बहने वाली बाघ और वैनगंगा नदी के आस-पास सारस पक्षियों का निवास है। इनकी संख्या तेजी से कम हो रही है। स्थानीय समाचार पत्रों में प्रकाशित खबर के आधार पर हाईकोर्ट ने इस मुद्दे का संज्ञान लिया है।
Created On :   20 July 2023 11:44 AM IST