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कड़ी धूप, नंगे पांव, वटवृक्ष पूजने पहुंचीं सुहागिनें
- दक्षिण नागपुर में घर के आसपास वटवृक्ष का किया पूजन
- चिकित्सा की दृष्टि से भी उपयोगी
- अमरता का प्रतीक
डिजिटल डेस्क, नागपुर. पति की दीर्घायु की कामना करने सुहागिनी नंगे पांव वटवृक्ष के पास पहुंचीं। कड़ी धूप पर उनकी आस्था भारी पड़ गई। दक्षिण नागपुर के मानेवाड़ा रोड पर सरस्वती नगर, शिवशक्ति नगर, महाकाली नगर में महिलाओं ने घरों के आसपास वटवृक्षों का पूजन किया। हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा वटपूर्णिमा के रूप में मनाई जाती है। महिलाएं व्रत रखकर वटवृक्ष की पूजा कर पति के दीर्घायु की कामना करती हैं। सरस्वती नगर में उकंडराव चौधरी के आंगन में वटवृक्ष का परिसर की महिलाओं ने पूजन किया। अनुसूया चौधरी, संगीता वराडे, प्रतिभा प्रधान, भावना पराडकर आदि ने वटवृक्ष का पूजन किया।
अमरता का प्रतीक है यह
भारत के पूज्यनीय वृक्षों में वट यानी बरगद का महत्वपूर्ण स्थान है। इसे अमरता का प्रतीक भी माना जाता है। हमारे देश की संस्कृति, सभ्यता और धर्म से वट का गहरा नाता है। वट वृक्ष को एक ओर शिव का रूप माना गया है तो दूसरी ओर पद्म पुराण में इसे भगवान विष्णु का अवतार कहा गया है। पुराणों में लिखा है कि वटवृक्ष के मूल में भगवान ब्रह्मा, मध्य में विष्णु तथा अग्रभाग में महादेव का वास होता है। इस प्रकार इस पवित्र वृक्ष में सृष्टि के सृजन, पालन और संहार करने वाले त्रिदेवों की दिव्य ऊर्जा का अक्षय भंडार उपलब्ध होता है। ऐसी मान्यता है कि वट की पूजा-अर्चना से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है।
चिकित्सा की दृष्टि से भी उपयोगी
धार्मिक दृष्टि से तो वट का महत्व है ही, चिकित्सा की दृष्टि से भी बरगद बहुत उपयोगी है। प्राचीन ग्रंथ वृक्षायुर्वेद में बताया गया है कि जो यथोचित रूप से बरगद के वृक्ष लगाता है, वह शिव धाम को प्राप्त होता है तथा आयुर्वेदिक मत से वट वृक्ष के सभी हिस्से कसैले, मधुर, शीतल तथा आंतों का संकुचन करने वाले होते हैं। कफ, पित्त आदि विकार को नष्ट करने के लिए इसका प्रयोग होता है। वमन, ज्वर, मूर्च्छा आदि में इसका प्रयोग लाभदायक है।
Created On :   4 Jun 2023 3:47 PM IST