चिंता का विषय: तापमान 1.50 डिग्री सेल्सियस बढ़ा तो हम विनाशकारी जलवायु परिवर्तन की कगार पर होंगे

तापमान 1.50 डिग्री सेल्सियस बढ़ा तो हम विनाशकारी जलवायु परिवर्तन की कगार पर होंगे
  • उर्जा साक्षरता व उपाययोजना पर सीएसआईआर-नीरी में व्याख्यान
  • वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड सांद्रता में 50 प्रतिशत की वृद्धि पर जताई चिंता
  • जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए ऊर्जा साक्षरता प्रशिक्षण जरूरी

डिजिटल डेस्क, नागपुर । वर्तमान में जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए ऊर्जा साक्षरता प्रशिक्षण की आवश्यकता है। यदि पृथ्वी का तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया तो हम विनाशकारी जलवायु परिवर्तन की कगार पर होंगे। वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड सांद्रता में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। ऐसा एनर्जी स्वराज फाउंडेशन के संस्थापक और मध्य प्रदेश में सौर ऊर्जा के ब्रांड एंबेसेडर प्रोफेसर चेतन सिंह सोलंकी ने कहा। सीएसआईआर-राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-नीरी) ने ‘जलवायु परिवर्तन और सुधारात्मक उपाययोजना’ विषय व्याख्यान का आयोजन किया।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप मे प्रोफेसर चेतन सिंह सोलंकी उपस्थित थे। उन्होंने जलवायु पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि एक बार उत्सर्जित होने वाली कार्बन डाइऑक्साइड 300 वर्षों तक वायुमंडल में रहती है। इसलिए ऊर्जा के उपयोग में व्यापक और तत्काल बदलाव की आवश्यकता है। उन्होंने वर्तमान हालात को सौर ऊर्जा में पूर्ण परिवर्तित करने का आह्वान किया। ऊर्जा खपत को सीमित करने के लिए तीन उपाय बताए। जितना संभव हो ऊर्जा के उपयोग से बचें, ऊर्जा के उपयोग को एक तिहाई कम करें, स्थानीय स्तर पर एक तिहाई ऊर्जा उत्पन्न करें। उन्होंने सतर्क किया कि अगर ये कदम नहीं उठाए गए तो 2100 तक ग्लोबल वार्मिंग 3 से 6 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकती है। यदि ऐसा हुआ तो यह प्रकृति और जीवों के लिए घातक होगा।

बिजली की खपत कम करने की पहल : कार्यक्रम में सीएसआईआर-नीरी के निदेशक डॉ. अतुल वैद्य, पर्यावरण संसाधन योजना और प्रबंधन के मुख्य वैज्ञानिक व अध्यक्ष डॉ. नितिन लाभसेतवार व सीएसआईआर-नीरी के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक प्रकाश कुंभारे उपस्थित थे। डॉ. वैद्य ने योजना के तहत बिजली की खपत को 10 प्रतिशत तक कम करने के लिए सीएसआईआर-नीरी द्वारा की गई पहल पर प्रकाश डाला। डॉ. लाभसेतवार ने मुख्य अतिथि का परिचय दिया। वैज्ञानिक डॉ. देबीश्री खान ने कार्यवाही का संचालन किया। इस अवसर पर विविध विद्यालयों एवं महाविद्यालयों के प्राचार्य एवं शिक्षक भी उपस्थित थे। कार्यक्रम के समन्वयक के रुप में प्रधान वैज्ञानिक डॉ. पीयूष कोकाटे उपस्थित थे।

Created On :   17 Aug 2024 8:22 PM IST

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