घरेलू हिंसा मामले में ससुराल पक्ष को फंसाने का चलन बढ़ा

घरेलू हिंसा मामले में ससुराल पक्ष को फंसाने का चलन बढ़ा
हाई कोर्ट की राय, एफआईआर खारिज करने का आदेश

डिजिटल डेस्क, नागपुर। घरेलू हिंसा के कई प्रकरणों में ससुराल वालों को बेवजह फंसाने के मामले देखे जाते हैं। ऐसी टिप्पणी करते हुए एक मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने यवतमाल के अवधूत वाड़ी पुलिस थाने में ससुराल वालों के खिलाफ दर्ज घरेलू हिंसा के मामले को रद्द करने का आदेश दिया है। इसमें सास-ससुर, देवर, 2 ननद और ननद की एक बेटी शामिल हैं।

8 माह प्रताड़ित किया गया

शिकायतकर्ता महिला के अनुसार वह मूलत: यवतमाल की निवासी है। 28 जनवरी 2018 को उसका विवाह अौरंगाबाद निवासी युवक के साथ हुआ था। विवाह के बाद से ही ससुराल वाले उसे यह ताने देने लगे कि युवती एक गरीब परिवार से है और दहेज लेकर नहीं आई है। यह सब कुछ करीब 8 महीनों तक चला और प्रताड़ना दिनों दिन बढ़ती गई। अंतत: उसके पति ने उसे वापस मायके भेज दिया, जिसके बाद पीड़िता ने पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई। इस मामले में अपने पति, सास-ससुर, देवर, 2 ननद और ननद की एक बेटी को आरोपी बनाया गया। उसके बाद प्राथमिकी खारिज करने के लिए ससुराल वालों ने हाई कोर्ट की शरण ली।

ठोस आरोप साबित नहीं

इस मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने पाया कि दोनों ननदों का विवाह तो शिकायतकर्ता के विवाह के कई वर्षों पहले हो गया है। दोनों ननद अपने ससुराल में रहती हैं। ऐसे में कोर्ट ने शिकायतकर्ता के समक्ष यह सवाल रखा कि जब ननद उनके साथ रहती ही नहीं थी, तो वे शिकायतकर्ता से घरेलू हिंसा कैसे कर सकती है? शिकायतकर्ता ने दलील दी कि दोनों ननदें बीच-बीच में उसके घर आती थीं और तब उसे प्रताड़ित करती थीं, लेकिन शिकायतकर्ता उनके खिलाफ काेई भी ठोस आरोप साबित नहीं कर सकी। मामले में सभी पक्षों को सुनकर हाई कोर्ट ने यह आदेश जारी किया है।

Created On :   26 Aug 2023 3:43 PM IST

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