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इंजीनियरिंग प्रवेश की राह हुई आसान
डिजिटल डेस्क, नागपुर। एक आदिवासी विद्यार्थी के इंजीनियरिंग प्रवेश पर संकट को देखते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने 15 अगस्त को शासकीय अवकाश होने के बावजूद सुनवाई की। इस सुनवाई में विद्यार्थी के पक्ष में ठोस सबूतों और दस्तावेजों को देखते हुए हाई कोर्ट ने जिला जाति वैधता पड़ताल समिति को छात्र को जाति वैधता प्रमाणपत्र देने का आदेश दिया। गौरतलब है कि 15 अगस्त को शासकीय अवकाश के कारण सभी सरकारी कार्यालयों में छुट्टी थी, लेकिन न्यायपालिका को अधिकार होता है कि वह किसी मामले की गंभीरता और आपतकालीन स्थिति को देखते हुए सुनवाई कर सकती है। ऐसा ही एक मामला नागपुर खंडपीठ में आया, जिस पर तत्काल सुनवाई जरूरी थी।
क्या है मामला : हुआ यूं कि याचिकाकर्ता छात्र काटोल निवासी गौरव वाघ को इंजीनियरिंग में प्रवेश के लिए 16 अगस्त दोपहर 3 बजे तक जाति वैधता प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना था। गौरव माना जाति से है, लेकिन जब उसने जिला जाति वैधता पड़ताल समिति के पास आवेदन किया, तो समिति ने उसका माना जाति का दावा खारिज कर दिया। इसे याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में चुनौती दी, जहां उसने दलील दी कि उसके परिवार के 7 सदस्यों के पास माना जाति का जाति वैधता प्रमाणपत्र है। यहां तक कि उसके पिता के पास भी यह प्रमाणपत्र है, लेकिन ऐसा होने के बावजूद समिति ने उसका दावा खारिज कर दिया। मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने समिति का विवादित आदेश रद्द करके छात्र को प्रमाणपत्र जारी करने का आदेश दिया, जिससे छात्र के इंजीनियरिंग में प्रवेश की राह खुल गई। याचिकाकर्ता की ओर से एड. प्रीति राणे ने पक्ष रखा।
Created On :   17 Aug 2023 10:26 AM IST