बस्ते का बोझ जस का तस, पर जेब पर बोझ बढ़ा

बस्ते का बोझ जस का तस, पर जेब पर बोझ बढ़ा
बस्ते का भार कम करना मात्र छलावा, निजी प्रकाशन की पुस्तकें थोप 3 गुना खर्च बढ़ाया

डिजिटल डेस्क, नागपुर। विद्यार्थियों के बस्ते का बोझ कम करने को लेकर लंबे समय से चर्चा चल रही थी। आखिरकार महाराष्ट्र राज्य पाठ्य पुस्तक निर्मिती व पाठ्यक्रम संशोधन मंडल ने चालू शैक्षणिक सत्र से पुस्तकों का बोझ कम कर दिया। साल भर का पाठ्यक्रम 4 पुस्तकों में समेट कर नई पुस्तकें उपलब्ध कराईं। एक पुस्तक में दाे महीने का सभी विषयों का पाठ्यक्रम शामिल किया गया। यानी एक समय विद्यार्थी को एक ही पुस्तक स्कूल ले जाने की सुविधा की गई, लेकिन बस्ते का बोझ कम करने के राज्य सरकार के इरादों पर निजी स्कूलों ने पानी फेर दिया। निजी प्रकाशनों के पुस्तकों का अतिरिक्त बोझ डालकर विद्यार्थियों के बस्ते का बोझ जस के तस रखा है। जानकारों की माने तो पुस्तकों की आड़ में कमिशन का गोरखधंधा चलाकर पालकों की जेब ढीली की जा रही है।

सरकारी 4, निजी प्रकाशन के 10-15 पुस्तक : महाराष्ट्र राज्य पाठ्य पुस्तक निर्मिति व पाठ्यक्रम संशोधन मंडल ने भले ही मराठी, हिंदी, इंग्लिश, गणित, ईवीएस 1 और 2 का संपूर्ण पाठ्यक्रम 4 पुस्तकों में समेट लिया है, पर निजी प्रकाशन की 10 से 15 पुस्तकों को निजी स्कूलों में अपने सिलेबस में जोड़ दिया। न्यू नंदनवन के एक स्कूल में पांचवीं कक्षा के सिलेबस में सरकारी प्रकाशन के 4 पुस्तकों को अलावा निजी प्रकाशन की 12 पुस्तकें खरीदनी पड़ रही है, जिसमें इंग्लिश वर्कबुक, मराठी वर्कबुक, हिंदी वर्कबुक, विकास साइंस जर्नल, इन्जाइंग माय न्यू फोल्डर, सेल्फ स्टडी मैथ, प्रोजेक्ट बुक, हिंदी सुलभ भारती व्याकरण, मराठी व्याकरण, एन्जॉय वीथ कलर, हायपरलिंक कम्प्यूटर और सामान्य ज्ञान (जीके) पुस्तकों का समावेश है। निजी प्रकाशन के पुस्तकों में 6 पुस्तक नवनीत, एक ऑक्सफोर्ड, एक चेतना, 2 जीवनदीप और एक किप्स प्रकाशन की है। वहीं सदर स्थित एक इंग्लिश मीडियम स्कूल में 6वीं कक्षा की सरकारी प्रकाशन की पुस्तकें तो मिली नहीं। निजी प्रकाशन की 11 पुस्तकें एक विशेष दुकान से खरीदी करवाई जा रही है। उसके बाद ही स्कूल से सरकारी प्रकाशन की पुस्तकें दी जाने वाली है।

निजी प्रकाशन की पुस्तकों पर 3 गुना खर्च : सरकारी प्रकाशन की 4 पुस्तकों की कीमत 500 से 600 रुपए के बीच है। वहीं निजी प्रकाशन की पुस्तकों के लिए पालकों को 3 गुना दाम चुकाने पड़ रहे हैं। न्यू नंदनवन के स्कूल में पांचवीं कक्षा के सरकारी पुस्तकों की कीमत 554 रुपए हैं, जबकि निजी प्रकाशन की पुस्तकों पर 1300 रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। सदर स्थित एक स्कूल में 6वीं कक्षा के निजी प्रकाशन के पुस्तकों की कीमत 1526 रुपए है।

शिक्षा विभाग की खामोशी का उठा रहे फायदा : सरकारी तथा अनुदानित स्कूल सरकारी प्रकाशन के 4 पुस्तकों के पाठ्यक्रम पर अमल कर रहे हैं। निजी गैर-अनुदानित खासकर इंग्लिश मीडियम स्कूलों में अपना सिलेबस लागू कर अतिरिक्त पुस्तकों का बोझ बढ़ाया गया है। राज्य शिक्षा बोर्ड से संलग्न स्कूलों में 4 पुस्तकों के पाठ्यक्रम पर अमल कराने की जिम्मेदारी शिक्षा विभाग पर है। शिक्षा विभाग सब कुछ जानकर भी खामोश बैठा हुआ है। शिक्षा विभाग की खामोशी का फायदा निजी स्कूल उठा रहे हैं।

आरटीई अधिनियम का उल्लंघन : केंद्र और राज्य सरकार के अध्यादेश के अनुसार व आरटीई अधिनियम की धारा 19 के तहत विद्यार्थियों के बस्ते का बोझ कम करने की नीति बनाई गई। राज्य शिक्षा मंडल से संलग्न स्कूलों में सालभर के पाठ्यक्रम पर 4 पुस्तकें तैयार की गई। आरटीई एक्शन कमेटी चेयरमैन शाहीद शरीफ का आरोप है कि िनजी गैर-अनुदानित स्कूलों ने विद्यार्थियों पर अपना सिलेबस लादकर बस्ते का बोझ बढ़ा दिया है। यह आरटीई अधिनियम का उल्लंघन है।

Created On :   5 July 2023 10:53 AM IST

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