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स्वतंत्रता पूर्व दस्तावेजों को दें महत्व : हाई कोर्ट
डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने अपने हालिया फैसले में स्पष्ट किया है कि अनुसूचित जनजाति प्रवर्ग के उम्मीदवारों को जाति वैधता प्रमाणपत्र जारी करते वक्त पड़ताल समिति के समक्ष पेश स्वतंत्रता पूर्व के दस्तावेजों को महत्व देना जरूरी है। इस निरीक्षण के साथ गड़चिरोली की पड़ताल समिति द्वारा 3 जुलाई 2018 को जारी आदेश खारिज करके उम्मीदवार को प्रमाणपत्र देने का आदेश हाई कोर्ट ने जारी किया है।
पेश किए थे दस्तावेज
याचिकाकर्ता ने गड़चिरोली की माना प्रवर्ग के जाति प्रमाणपत्र वैधता पड़ताल समिति के समक्ष आवेदन किया था, जिसमें याचिकाकर्ता ने अपने वंश के कुछ दस्तावेज प्रस्तुत किए थे, जो स्वतंत्रता के पहले के थे। इनमें एक दस्तावेज वर्ष 1920 और एक वर्ष 1942 का था। ऐसे ही याचिकाकर्ता के परिवार के अन्य सदस्यों को मिला प्रमाणपत्र भी याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया, लेकिन समिति ने आवेदन खारिज कर दिया। दलील दी कि विजिलेंस रिपोर्ट के अनुसार याचिकाकर्ता के स्वतंत्रता पूर्व के इन दस्तावेजों पर यह उल्लेख नहीं था कि याचिकाकर्ता का वंश माना प्रवर्ग से है। वहीं परिजनों को मिला प्रमाणपत्र बगैर विजिलेंस रिपोर्ट के दिया गया था। समिति के इस फैसले के खिलाफ याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट की शरण ली। सभी पक्षों को सुनकर कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सर्वोच्च न्यायालय ने एक फैसले में स्पष्ट किया है कि जाति वैधता प्रमाणपत्र के लिए विजिलेंस सेल की रिपोर्ट कोई लिटमस टेस्ट नहीं है। अनुसूचित जनजाति प्रवर्ग के उम्मीदवार के प्रस्ताव पर फैसला लेते वक्त समिति को उसके सामने पेश किए गए संपूर्ण दस्तावेजों पर गौर करना जरूरी है।
Created On :   26 Aug 2023 2:38 PM IST