Nagpur News: चपराला अभयारण्य में दिखी धारीदार घासचिड़िया

चपराला अभयारण्य में दिखी धारीदार घासचिड़िया
  • क्षेत्र का किया गया पक्षी निरीक्षण
  • दुर्लभ प्रजातियों में शामिल है

Nagpur News महाराष्ट्र के गड़चिरोली जिले में स्थित चपराला वन्यजीव अभयारण्य में 29-30 नवंबर को आयोजित पहले नागरिक विज्ञान पक्षी सर्वेक्षण के दौरान एक अत्यंत दुर्लभ पक्षी धारीदार घासचिड़िया (ग्रास बर्ड) की मौजूदगी दर्ज की गई है। प्राणहिता नदी के किनारे ऊंची घास वाले आवास में दो चिड़ियों को देखा गया। यह खोज बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि पूर्वी महाराष्ट्र में यह प्रजाति अत्यंत दुर्लभ है।

राज्य में अब तक केवल जलगांव (तापी नदी घाटी) और चंद्रपुर जिले से ही इसकी एक-एक पुरानी पुष्टि हुई थी। चपराला का यह रिकॉर्ड एक उपलब्धि है। भारत में इस प्रजाति की चिड़िया दक्षिणी क्षेत्र में दिखाई देती है। महाराष्ट्र में दिखाई देना क्षेत्र विस्तार को दर्शाता है। सर्वेक्षण दल का नेतृत्व डॉ. राजू कासंबे (मुंबई) और मंगेश बालापुरे (उप-वन संरक्षक, वन्यजीव, अलापल्ली) ने किया। डॉ. प्रभुनाथ शुक्ल (वन संरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक, ताड़ोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व) के मार्गदर्शन में यह कार्यक्रम संपन्न हुआ।

140 प्रजातियों का दस्तावेजीकरण : इस निरीक्षण में नदी बटेर (रीवर लैपविंग), सांप-गर्दन पक्षी (ओरियंटल डार्टर), काले-सिर वाला सफेद बगुला (ब्लैक हेडेड ) देखे गए। इसके अलावा नारंगी-छाती हरा कबूतर (ऑरेंज ब्रेस्टेड ग्रीन पीजन) भारतीय खुरली उल्लू (इंडियन स्कोप आउल), भूरा बाज उल्लू (ब्राउन हाक आउल) आदि दो दिनों में कुल लगभग 140 प्रजातियों का दस्तावेजीकरण किया गया। अभयारण्य में अब तक पक्षी सर्वेक्षण नहीं हुआ था। आगे मौसमी सर्वेक्षणों की योजना है, ताकि इस क्षेत्र की पक्षी विविधता को और बेहतर ढंग से दर्ज किया जा सके। इसमें गणेश लांडगे (रेंज फॉरेस्ट ऑफिसर, चपराला), सचिन शिंदे (डीएफओ ताड़ोबा) और विशेषज्ञ पक्षी विज्ञानी डॉ. अनिल माली (नासिक) ने सहयोग किया।

अभयारण्य की यह है विशेषता

क्षेत्रफल : 134.78 वर्ग किमी

प्रशासनिक नियंत्रण : ताड़ोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व के अंतर्गत।

सीमाएं : पश्चिम में प्राणहिता नदी और महाराष्ट्र-तेलंगाना सीमा, दक्षिण-पश्चिम में वैनगंगा नदी


Created On :   2 Dec 2025 12:01 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story