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Nagpur News: लोक संगीत की स्वर धारा बही, खासदार सांस्कृतिक महोत्सव में विभिन्न राज्यों की दिखी झलक

Nagpur News ईश्वर देशमुख शारीरिक शिक्षण महाविद्यालय के प्रांगण में ‘खासदार सांस्कृतिक महोत्सव-2025’ के 7वें दिन गुरुवार की शाम एकता, परंपरा और लोककला के अद्भुत संगम से सरोबार रही। संस्कार भारती, नागपुर के कलाकारों ने ‘मिट्टी के रंग : भारत की लोक संस्कृति की संगीत नृत्यमय गाथा’ नामक भव्य कार्यक्रम प्रस्तुत किया, जिसने हजारों दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। करीब 1000 गायक, वादक और नर्तक कलाकारों की सहभागिता से सजे इस आयोजन में भारत की विविधता में एकता का अनुपम चित्र उभर कर सामने आया। पूरा मैदान दर्शकों से खचाखच भरा था। तालियों की गूंज और लोकसंगीत की स्वरधारा ने वातावरण को भावपूर्ण बना दिया।
संस्कार भारती के ध्येय गीत से शुरुआत : कार्यक्रम की शुरुआत संस्कार भारती के ध्येय गीत से हुई, जिसने भारत की सांस्कृतिक आत्मा को जगाया। इसके बाद मंच पर एक-एक कर विभिन्न प्रांतों की लोककलाएं जीवंत होती चली गईं। उत्तराखंड की ‘नमो नमो जी शंकरा’ और ‘तुम्हे दिल में बसाया’ जैसी भक्तिभाव से ओतप्रोत गीतों ने वातावरण में आध्यात्मिक ऊर्जा भर दी। असम के बिहू नृत्य ने युवा जोश का परिचय दिया। राजस्थान की परंपरागत घूमर प्रस्तुति में ‘म्हारो हेलो' की लय पर थिरकते कलाकारों ने रेगिस्तानी संस्कृति की झलक दी। ओडिशा के संबलपुरी दारा लोग, बंगाल की ‘फागुनेर कोमालो सुंदरी’ और कर्नाटक के कदुलू नृत्य ने दर्शकों को दक्षिण भारत की धरती तक पहुंचाया। ब्रजभूमि की ‘होरी खेले रघुवीरा’ की फाग उत्सव की प्रस्तुति ने दर्शकों को रंगों की होली में डुबो दिया, तो पंजाब की गिद्धा और महाराष्ट्र के ढोल-ताशे ने समूचे पटांगण को झंकारित कर दिया।
महाराष्ट्र की लोक संस्कृति ने जीता दिल : ‘वेसवीची पारू’, ‘लटपट’ और ‘गडावर गड संबळ’ जैसे लोकनृत्यों की प्रस्तुति ने महाराष्ट्र की पारंपरिक छटा बिखेरी। कलाकारों के कदमों की थाप और वाद्य यंत्रों की गूंज से पूरा वातावरण लोक भावना से सराबोर हो उठा। कार्यक्रम का समापन भारत की एकता का प्रतीक गीत ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा’ से हुआ, जिसमें सभी कलाकारों ने एक साथ सुर मिलाकर यह संदेश दिया कि भले ही भाषाएं और परंपराएं भिन्न हों, लेकिन भारत का दिल एक ही ताल पर धड़कता है।
कला-सृजन के पीछे रही सशक्त टीम : इस कार्यक्रम का संयोजन गजानन रानडे, अमर कुलकर्णी और आनंद मासटे ने किया। सहसंयोजक के रूप में अवंती काटे, श्रीकांत धबडगांवकर और कुणाल आनंदम ने जिम्मेदारी निभाई। संगीत निर्देशन मोरेश्वर दशसहस्त्र और अथर्व शेष का रहा, जबकि आशुतोष अडोणी ने इसकी संहिता तैयार की। निवेदन श्रद्धा भारद्वाज और सनी प्रसाद ने प्रभावशाली ढंग से किया। सुनील हमदापुरे की नेपथ्य कला, संदीप बारस्कर की ध्वनि व प्रकाश योजना तथा तकनीकी सहयोगी दल के सदस्यों के समर्पण ने इस प्रस्तुति को एक अनोखा दृश्य अनुभव बनाया।
यूएनओ ने दी मान्यता : इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी ने बताया कि इस वर्ष शारदोत्सव अंतर्गत एक लाख से अधिक महिलाओं के हाथों में मेहंदी रचाई गई, जिससे करीब 6 हजार महिलाओं को रोजगार मिला। उन्होंने गर्व से कहा कि भारत की यह पारंपरिक मेहंदी परंपरा अब संयुक्त राष्ट्र (यूएनओ) द्वारा मान्यता प्राप्त कर चुकी है। गडकरी ने कहा कि खासदार सांस्कृतिक महोत्सव केवल कला का मंच नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति के मूल्यों को सहेजने का अभियान है। ‘मिट्टी के रंग’ जैसे कार्यक्रम भारत की एकता, बंधुता और सामूहिक संस्कृति के प्रतीक हैं।
गूंजेगा महापरित्राण पाठ : आध्यात्मिक पहल के अंतर्गत खासदार सांस्कृतिक महोत्सव समिति ने 16 नवंबर की सुबह 7 बजे ‘महापरित्राण पाठ’ का आयोजन करने की घोषणा की है। इस पाठ में सौ से अधिक बौद्ध भिक्षु शामिल होंगे। इस आयोजन का उद्देश्य तथागत बुद्ध के करुणा, शांति और समता के संदेश को समाज तक पहुंचाना है। कार्यक्रम के संयोजक संदीप गवई, डॉ. मिलिंद माने तथा समिति के अन्य सदस्य समाज के सभी बौद्ध बंधुओं से इसमें शामिल होने का आह्वान किया है।
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Created On :   14 Nov 2025 1:27 PM IST














