ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम के कारण बढ़ रही ट्रेनों की संख्या

ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम के कारण बढ़ रही ट्रेनों की संख्या
  • राजधानी के रफ्तार की बराबरी करेंगी एक्सप्रेस गाड़ियां
  • एक्सप्रेस गाड़ियां भी राजधानी के रफ्तार की बराबरी
  • अब ज्यादा से ज्यादा गाड़ियां दौड़ सकेंगी

डिजिटल डेस्क, नागपुर. हावड़ा लाइन पर अब एक्सप्रेस गाड़ियां भी राजधानी के रफ्तार की बराबरी करने के लिए सक्षम हैं। नागपुर से दुर्ग तक पटरियों को 130 किमी के लिए तैयार किया जा चुका है। ऑटोमेटिक सिग्निलिंग यंत्रणा के कारण यह संभव हो सका है। इस व्यवस्था से सेक्शन में गाड़ियों की संख्या बढ़ाने का मौका रेलवे को मिल रहा है। जिससे एक बार में ज्यादा से ज्यादा गाड़ियां दौड़ सकेंगी।

नागपुर-दुर्ग सेक्शन में मिलेगी रफ्तार : वर्तमान में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के कलमना से दुर्ग (265 किमी.), जयरामनगर-बिलासपुर-बिल्हा (32 किमी) और बिलासपुर-घुटकू (16 किमी) सेक्शन में ऑटो सिग्नलिंग प्रणाली अपनाई जा चुकी है। निकट भविष्य में चांपा से गेवरारोड, जयरामनगर से अकलतरा एवं बिल्हा से निपनिया तक ऑटो सिग्नलिंग का प्रावधान किया जाएगा। जिसके बाद नागपुर से बिलासपुर तक पूरा सेक्शन ऑटोमेटीक सिग्नलिंग यंत्रना से लैस होगा। जिससे इस सेक्शन में गाड़ियों को रफ्तार भी मिलेगी। साथ ही सेक्शन में गाड़ियों की संख्या भी बढ़ने वाली है।

सिग्नल के सहारे एक-दूसरे के पीछे चलती रहेंगी : स्पीड के मामले में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में नागपुर से दुर्ग तक की सेक्शनल स्पीड बढ़ाकर राजधानी रूट के समकक्ष 130 किमी प्रतिघंटा की जा चुकी है। ऑटोमेटिक सिग्नल से रेल लाइनों पर ट्रेनों की रफ्तार के साथ ही संख्या भी बढ़ सकेगी। वही कहीं भी खड़ी ट्रेन को निकलने के लिए आगे चल रही ट्रेन के अगले स्टेशन तक पहुंचने का भी इंतजार नहीं करना पड़ेगा। स्टेशन यार्ड से ट्रेन के आगे बढ़ते ही ग्रीन सिग्नल मिल जाएगा। यानी एक ब्लॉक सेक्शन में एक के पीछे दूसरी ट्रेन सिग्नल के सहारे ट्रेनें एक-दूसरे के पीछे चलती रहेंगी। अगर आगे वाले सिग्नल में तकनीकी खामी आती है, तो पीछे चल रही ट्रेनों को भी सूचना मिल जाएगी। जो ट्रेन जहां रहेगी, वहीं रुक जाएगी।

अब 7 से 8 मिनट के अंतराल पर चलेंगी : पहले जहां दो स्टेशनों के बीच एक ही ट्रेन चल सकती थी, वहीं ऑटो सिग्नलिंग के द्वारा दो स्टेशन की बीच दूरी के अनुसार 2, 3 या 4 ट्रेन भी आ सकती हैं। औसतन एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन के बीच की दूरी 12 से 15 किलोमीटर तक होती है। ट्रेन को यह दूरी तय करने में 15 मिनट का समय लगता है। पहले गई ट्रेन के पीछे 15 मिनट के बाद दूसरी ट्रेन चलाई जाती है। रेलवे इस समय को कम कर सात से आठ मिनट करने जा रहा है। जिससे वर्तमान समय में चलने वाली ट्रेन दोगुनी चलाई जा सकें। रेलवे इसके लिए दो स्टेशन के बीच ऑटोमेटिक सिग्नल स‍िस्टम लगाने जा रहा है। बीच के सिग्नल को पार करते ही पीछे से दूसरी ट्रेन चला दी जाएगी। इससे 15 मिनट के स्थान पर सात से आठ मिनट में ही दूसरी ट्रेन चलाई जा सकती है।

अब बेवजह नहीं खड़ी रहेगी ट्रेन : दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे निरंतर ही आधुनिक एवं सुविधायुक्त तकनीकी का उपयोग कर यात्री सुविधाओं के साथ अधिक से अधिक ट्रैफिक के लिए प्रयासरत है। इस आधुनिक एवं उन्नत तकनीक के अंतर्गत बेहतर परिचालन को सुनिश्चित करने के लिए परंपरागत सिग्नलिंग सिस्टम को अपग्रेड कर ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम में परिवर्तित किया जा रहा है। ऑटो सिग्नलिंग व्यवस्था बिना किसी अतिरिक्त स्टेशनों के निर्माण और रख-रखाव के साथ ही ज्यादा से ज्यादा ट्रेन चलाने के व प्रमुख जंक्शन स्टेशन के ट्रैफिक को नियंत्रित करने में मदद करता है। ऑटोमेटिक सिग्नल सिस्टम लगने से ट्रेनों को बेवजह कहीं भी खड़ा नहीं होना पड़ेगा। इसके चलते एक ही रूट पर एक के पीछे एक ट्रेन बिना लेट हुए आसानी से चल सकेंगी। साथ ही इसके कई लाभ हैं।


Created On :   12 Jun 2023 6:00 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story