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दवा के साइड इफेक्ट : नागपुर जिले में 20 हजार लोग पर्किसंस से पीड़ित
चंद्रकांत चावरे , नागपुर। मस्तिष्क से जुड़ी बीमारी पर्किसंस तेजी से पांव फैला रहा है। कई कारणों से यह बीमारी लोगों को घेरने लगी है। नागपुर जिले में भी यह बीमारी बड़े प्रमाण मे होने लगी है। सरकारी अस्पतालों की बात करें तो यहां हर महीने पर्किसंस से ग्रस्त 65 नए मरीज आते हैं। वहीं 130 मरीज हर महीने नियमित उपचार लेते हैं। इसके अलावा निजी अस्पतालों, मनोचिकित्सक व न्यूरोलॉजिस्ट के पास पर्किसंस पीड़ितों की संख्या हजारों में है। विशेषज्ञों के अनुसार, जिले में इस बीमारी के मरीजों की संख्या लगभग 20 हजार होने का अनुमान है। इसमें 95 फीसदी 60 से अधिक आयुवर्ग के और 5 फीसदी 30 से अधिक आयुवर्ग के हैं। दवाओं के साइड इफेक्ट के अलावा अन्य कारणों से यह बीमारी होती है।
डोपामिनर्जिक न्यूरॉन्स होते हैं प्रभावित
पर्किसंस बीमारी दिन ब दिन बढ़ रही है। यह संक्रामक नहीं है, लेकिन मस्तिष्क से जुड़ी होने से इसे घातक बीमारी माना जाता है। यह बीमारी मूल रूप से एक न्यूरोडीजेनेरेटिव विकार है। इसके कारण मस्तिष्क के द्रव्य निग्रा क्षेत्र में डोपामिनर्जिक न्यूरॉन्स प्रभावित होते हैं, जो डोपामाइन रसायन निर्माण का घटक है। शारीरिक गतिविधियों के परिचालन के लिए डोपामाइन रसायन मस्तिष्क के चारों ओर संदेश ले जाने का कार्य करता है। इस बीमारी के लक्षण तुरंत पता नहीं चलता। इसलिए शुरुआत से ही इसके लक्षण जानकर उनकी निगरानी करना जरूरी है। इसमें प्रमुख रूप से अंगों का जकड़ना, कंपन होना, संतुलन बिगड़ना, चिंता, तनाव, पागलपन या विचित्रता, आभास होना, निद्रा विकार, गंध लेने की शक्ति का खत्म होना, संज्ञान क्षमता कम होना, व्यक्ति का असहाय होना आदि प्रारंभिक लक्षण है। इस बीमारी के ठोस कारणों के बारे में स्पष्टता नहीं है, लेकिन अधिकतर मामलों में पारिवारिक इतिहास कारण माने गए हैं।
नागपुर जिले के 3 बड़े सरकारी अस्पतालों में इस बीमारी से ग्रस्त रोगियों की संख्या अलग-अलग है। शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय (मेडिकल), इंदिरा गांधी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेयो) व शासकीय मनोचिकित्सालय में हर महीने 65 नए मरीज आने का अनुमान व्यक्त किया गया है। वहीं हर महीने 130 मरीज नियमित जांच व औषधोपचार के लिए आते हैं। इसके अलावा निजी अस्पतालों व मानसिक रोग विशेषज्ञों व न्यूरोलॉजिस्ट के पास आनेवाले मरीजों की संख्या हजारों में होने का अनुमान लगाया गया है। शहर के विशेषज्ञ डॉक्टरों के अनुसार पर्किसंस बीमारी होने का एक कारण उपचार के दौरान दवाओं का हेवी डोज का असर बताया गया है। वहीं खदानों में काम करनेवाले लोगों को यह बीमारी अधिक पाई गई है। जिले में करीब 20 हजार लोग इस बीमारी से पीड़ित बताए गए हैं। इनमें से 30 साल से अधिक आयु वर्ग के 5 फीसदी यानि 1000 लोग जिन्हें युवा कहा जा सकता है, पीड़ित हैं। वहीं 60 से अधिक आयुवर्ग की संख्या 95 फीसदी यानि 19 हजार होने का अनुमान व्यक्त किया गया है।
दवा के अधिक डोज के कारण भी होती है बीमारी
हमारे यहां हर महीने 15 नए मरीज आते हैं। वहीं 30 मरीज नियमित जांच व औषधोपचार के लिए आते हैं। इनमें से अधिकतर दवाओं का अधिक डोज के कारण पीड़ित पाए जाते हैं। अधिक डोज के कारण उनमें साइड इफेक्ट होता है, इससे उन्हें पर्किसंस बीमारी घेर लेती है। कुछ समय तक नियमित उपचार के बाद वे सामान्य हो जाते हैं।- डॉ. अभिषेक सोमाणी, विभाग प्रमुख, मनोचिकित्सा विभाग, मेयो अस्पताल, नागपुर
लक्षण दिखते ही जांच व उपचार के लिए चिकित्सक से संपर्क करें
यह बीमारी 60 साल से अधिक आयुवर्ग के लोगों को अधिक होती है। एसिडीटी व अन्य दवाओं के अधिक सेवन से बीमारी की संभावना बनी रहती है। कुछ दवाएं ऐसी होती है, जिसके कारण शरीर पर विपरीत प्रभाव होता है। ऐसे में पर्किसंस होने का खतरा रहता है। इसके लिए समय रहते लक्षणों पर ध्यान देना जरूरी है। वहीं नियमित व्यायाम व खानपान पर विशेष ध्यान देना चाहिए। लक्षण दिखते ही विशेषज्ञ डॉक्टरों से जांच व उपचार करवाना चाहिए। -डॉ. चंद्रशेखर मेश्राम, विश्वस्त, वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ न्यूरोलॉजी
Created On :   6 May 2023 2:41 PM IST