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किराए में रियायत पर रेलवे से मांगा जवाब
डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोरोना काल में रेलवे द्वारा रेल किराए पर बंद की गई 22 विविध श्रेणियों की रियायतें दोबारा बहाल नहीं करने के कारण अधिवक्ता संदीप बडाना ने फिर बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में जनहित याचिका दायर की है। इसके पूर्व 14 दिसंबर 2022 को हाई कोर्ट ने रेलवे को ये रियायतें दोबारा शुरू करने पर 3 माह के भीतर फैसला लेने का आदेश दिया था। याचिकाकर्ता के अनुसार, हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद उन्होंने रेलवे से लगातार संपर्क किया, लेकिन जवाब में रेलवे ने उन्हें सिर्फ इतना बताया कि वर्ष 2019-20 में उन्होंने रेल किराए पर कितनी सब्सिडी दी है। लेकिन यह नहीं बताया कि वे रियायतें दोबारा शुरू करेंगे या नहीं। बुधवार को याचिकाकर्ता का पक्ष सुनकर हाई कोर्ट ने रेलवे को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब मांगा है।
यह है मामला : दरअसल, याचिका का मूल मुद्दा यह है कि कोरोना काल में ट्रेनों में भीड़ कम करने के उद्देश्य से रेलवे ने ट्रेन में विविध श्रेणियों में मिलने वाली रियायतें बंद करने का फैसला लिया था। तब तक ट्रेनों में 55 विविध श्रेणियों में किराए पर रियायत मिलती थी। रेलवे ने 19 मार्च 2020 को एक सर्कुलर निकाला और 22 श्रेणियों की रियायतें बंद कर दी। रेलवे के इस फैसले के तहत दिव्यांगजनों, मरीजों और विद्यार्थियों को रियायत मिलनी जारी रही, लेकिन वरिष्ठ नागरिक, युद्ध के कारण विधवा हुई महिलाओं, बेरोजगार युवाओं, किसानों, खिलाड़ियों और प्रतिष्ठित पुरस्कार विजेताओं को मिलने वाली रियायतें बंद कर दी गईं। याचिकाकर्ता के अनुसार, रेलवे ने सांसद जैसी वीआईपी श्रेणी में रियायत देना जारी रखा, लेकिन उक्त श्रेणियों में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों से पूरा किराया वसूल रही है। अब तो परिस्थिति भी सामान्य हो चुकी है। कोरोना की पाबंदियां खत्म की जा चुकी हैं। लेकिन अब तक रेलवे ने उक्त 22 श्रेणियों में मिलने वाली रियायत दोबारा शुरू नहीं की है।
Created On :   24 Aug 2023 2:58 PM IST