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इस बार भी अस्थायी नीति-नियमों पर टिका रहेगा गणेशोत्सव
डिजिटल डेस्क, नागपुर। राज्य भर में पीओपी मूर्तियों को लेकर सरकार की कोई स्पष्ट नीति नहीं होने से स्थानीय निकायों द्वारा समय-समय पर अपनी नियमावली लागू की जाती है, जबकि यह मामला न्यायालय में विचाराधीन होने से हर साल राज्य भर में पीओपी मूर्तियां बिकती हैं। नागपुर में पीओपी मूर्तियों पर प्रतिबंध के नाम पर सरकार के निर्देशानुसार स्थानीय प्रशासन द्वारा काम किया जाता है। पिछले चार साल से नागपुर महानगर पालिका प्रशासन द्वारा पीओपी मूर्तियों पर रोक लगाने के लिए प्रतिबंधक उपाय के रूप में अस्थायी नियमावली लागू की है।
मध्य भारत में मूर्ति निर्यात का बड़ा शहर नागपुर
-नागपुर जिले में मूर्तिकला से 450 से 500 लोग जुड़े हैं। इनकी संख्या हर साल कम हो रही है।
-छोटी मूर्तियां बनाने वाले औसत 400 से 500 व बड़ी मूर्तियां बनाने वाले अधिकतम 60 मूर्तियां बनाता है।
-कुछ साल पहले यहां 1.25 लाख मूर्तियों का निर्माण होता था। अब यह आंकड़ा सिमटकर 85 हजार तक ही पहुंच पाता है।
इस बार भी बीत जाएगा गणेशोत्सव
पीओपी मूर्तियों को लेकर हर साल असमंजस की स्थिति पैदा होती है। 17 मई को मुख्यमंत्री द्वारा ली गई बैठक में राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है। यह समिति तीन माह में सरकार को स्थायी हल निकालने अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। इसकी अधिसूचना 24 जुलाई 2023 को जारी की गई है। अधिसूचना से तीन महीने यानी 23 अक्टूबर 2023 तक समिति रिपोर्ट पेश करेगी। तब तक गणेशोत्सव 2023 का समापन हो चुका होगा। इस तरह इस विषय पर स्थायी हल निकालने में साल दर साल बीत रहे हैं।
जिले में करीब 3 लाख मूर्तियों की मांग
-जिले में करीब 3 लाख मूर्तियों की मांग होती है। मांग पूरी करने के लिए बाहर से विक्रेताओं को बाहर से मूर्तियों का आयात करना पड़ता है।
-पिछले साल नागपुर शहर में 380 से अधिक कृत्रिम तालाबों में 1.40 लाख से अधिक मूर्तियों का विसर्जन हुआ था। इसमें मिट्टी की मूर्तियाें की संख्या 1.29 लाख व पीओपी की मूर्तियों की संख्या 11 हजार से अधिक थी।
-पिछले साल विसर्जित मूर्तियों की संख्या 2021 के मुकाबले 8 हजार से अधिक था। 2021 में 1.29 लाख से अधिक मूर्तियों का विसर्जन हुआ था।
-ग्रामीण क्षेत्र में भी 40 से 50 हजार मूर्तियों की बिक्री होती है। कुल मिलाकर जिले में 3 लाख मूर्तियां चाहिए।
-कुल मांग 3 लाख में से यहां केवल 85 हजार मूर्तियों का ही निर्माण होता है। इसलिए यहां करीब 2.15 लाख मूर्तियां बाहर से आयात की जाती है।
-जिले में पेण, मुंबई, अमरावती, बडनेरा, परतवाड़ा, अहमदनगर, पुणे, वाशिम, अकोला, कोल्हापुर आदि शहरों शहरों से मूर्तियां आयात की जाती हैं।
-यहां से मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा समेत पूरे विदर्भ से मूर्तियों के थोक ग्राहक आते हैं। नागपुर से 35 हजार मूर्तियां निर्यात होने का अनुमान व्यक्त किया गया है।
Created On :   8 Aug 2023 10:49 AM IST