लेट-लतीफी - विद्यापीठ की मंजूरी के इंतजार में अटका पीएसडब्ल्यू पाठ्यक्रम

लेट-लतीफी - विद्यापीठ की मंजूरी के इंतजार में अटका पीएसडब्ल्यू पाठ्यक्रम
  • मंजूरी नहीं मिलने से रुके काम
  • अटका पीएसडब्ल्यू पाठ्यक्रम

डिजिटल डेस्क, नागपुर। प्रादेशिक मनोचिकित्सालय में पिछले सात साल से पीएसडब्ल्यू (साइक्रियाटिक सोशल वर्कर) पाठ्यक्रम शुरू करने की योजना है। इसके लिए मनोचिकित्सालय ने दो साल पहले ही पूरी तैयारी कर ली है, लेकिन दो साल से आरोग्य विज्ञान विद्यापीठ की मंजूरी का इंतजार किया जा रहा है। इसके लिए विशेष टीम ने सर्वेक्षण किया है। बावजूद इसके मंजूरी नहीं दी गई है।

मंजूरी नहीं मिलने से रुके काम : प्रादेशिक मनोचिकित्सालय में पीएसडब्ल्यू पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए 2016 में प्रस्ताव तैयार किया गया था। महाराष्ट्र राज्य आरोग्य विज्ञान विद्यापीठ नाशिक की टीम ने सर्वेक्षण कर व्यवस्था का जायजा लिया था। इसके बाद पाठ्यक्रम शुरू करने की स्वीकृति दी थी। इसे शुरू करने के लिए अनुमति की आवश्यकता है। 2019 में यह अनुमति मिलने वाली थी, लेकिन कोरोना के चलते यह प्रक्रिया रुक गई थी। पिछले साल मार्च महीने में विविध पदों पर भरती प्रक्रिया की जानी थी, लेकिन पिछले साल मंजूरी नहीं मिलने से भरती प्रक्रिया भी अटक गई। दरअसल, महाराष्ट्र राज्य आरोग्य विज्ञान विद्यापीठ की तरफ से पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए अंतिम मंजूरी नहीं मिलने से आगे के काम अटक गए हैं।

कक्षाएं व वाचनालय बनकर तैयार सात साल पहले सरकार ने एक कमेटी के माध्यम से राज्य के मनोचिकित्सालयों का सर्वेक्षण किया था। सर्वेक्षण में पता चला था कि वहां मानसिक रोग विशेषज्ञों की संख्या कम है। नए लोग इस क्षेत्र में कदम नहीं रखते। इसका सबसे बड़ा कारण यह था कि मानसिक रोग विशेषज्ञ तैयार करने के लिए सरकारी स्तर पर परिपूर्ण व्यवस्था नहीं है। ऐसे में मानसिक रोग विशेषज्ञों की संख्या कैसी बढ़ाई जाए, यह बड़ा सवाल पैदा हुआ था। यह बात भी सामने आई थी कि पीएसडब्ल्यू विषय में एम फील पाठ्यक्रम नहीं होने से विद्यार्थी शिक्षा नहीं ले पा रहे हैं। इस रिपोर्ट के बाद सरकारी स्तर पर मनोचिकित्सालयों में ही मानसिक रोग विशेषज्ञ तैयार करने के लिए सोचा गया। इसके लिए योजना तैयार कर प्रस्ताव मंगाए गए थे।

प्रादेशिक मनोचिकित्सालय ने भेजा प्रस्ताव : राज्य के चार मनोचिकित्सालय ने पीएसडब्ल्यू पाठ्यक्रम की शुरुआत करने के लिए प्रस्ताव भेजे थे। इसमें नागपुर का प्रादेशिक मनोचिकित्सालय भी शामिल हैं। यहां साइकॉलॉजिस्ट, क्लिनिकल सॉयकॉलॉजिस्ट, साइकॉलॉजिस्ट नर्स, सोशल वर्कर आदि पाठ्यक्रमों की शिक्षा दी जानेवाली है। इससे नागपुर सहित पूरे विदर्भ के विद्यार्थियों को लाभ मिलने वाला है। कोरोना से पहले इसके लिए 28 लाख की निधि मिली थी। इस निधि से क्लास रुम, लाइब्रेरी सहित अन्य सभी सुविधाएं तैयार की गई हैं, लेकिन पाठयक्रम शुरू करने की अंतिम मंजूरी नहीं मिलने से भरती प्रक्रिया व अन्य प्रक्रिया थमी है। इस संबंध में मनोचिकित्सालय प्रबंधन द्वारा विद्यापीठ से लगातार पत्राचार किया जा रहा है।

Created On :   17 July 2023 7:28 PM IST

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