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जनसुनवाई रद्द - अदाणी कोयला खदान पर जमकर बवाल, दिन भर होनी थी सुनवाई, डेढ़ घंटे में खत्म
- 100 से ज्यादा गांव वालों ने जताया विरोध
- समर्थन में नहीं उठा कोई हाथ
- अनावश्यक सवाल कर जनसुनवाई बाधित की
डिजिटल डेस्क, नागपुर. कलमेश्वर तहसील में प्रस्तावित अदाण कोयला खदान को लेकर गुरुवार को जमकर हंगामा हुआ। जनसुनवाई में जनप्रतिनिधि, ग्रामीण सहित पर्यावरणविदों ने इसका विरोध करते हुए प्रकल्प को ही रद्द करने की मांग की। बवाल इतना मचा की दिन भर चलने वाली जनसुनवाई को प्रशासन ने डेढ़ घंटे में खत्म कर दिया। खदान की रिपोर्ट ग्रामीणों को मराठी में नहीं मिलने पर आपत्ति जताते हुए कानूनी प्रक्रिया का भी पालन नहीं करने का आरोप लगाया। पर्यावरणविदों के भारी विरोध के कारण आखिरकार जनसुनवाई रद्द करनी पड़ी।
100 से ज्यादा गांव वालों ने जताया विरोध
नागपुर से लगभग 20 किलोमीटर दूरी पर स्थित कलमेश्वर तहसील के गोंडखैरी में भूमिगत कोयला खदान प्रस्तावित है। गोंडखैरी परिसर में कोयला खदान का पट्टा अदाणी पावर महाराष्ट्र लिमिटेड को दिया गया है। यह भूमिगत कोयला खदान शुरू करने का निर्णय केंद्र सरकार ने लिया है, लेकिन इस कोयला खदान के आसपास के 24 प्रमुख गांव और 80 से ज्यादा छोटे गांवों ने विरोध किया है। कंपनी के आवेदन के बाद महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल (एमपीसीबी) ने गुरुवार को कलमेश्वर तहसील के कारली तालाब के पास जनसुनवाई का आयोजन किया था। सुनवाई अधिकारी के रूप में निवासी उपजिलाधिकारी सुभाष चौधरी, एमपीसीबी की विभागीय अधिकारी हेमा देशपांडे, एमआरओ राजेंद्र पाटील सहित कंपनी के अधिकारी भी उपस्थित थे। जनसुनवाई के लिए 30 से ज्यादा आवेदन आए थे। हालांकि जनसुनवाई से पहले ही 24 ग्रामपंचायतों ने अपनी सभाओं में प्रस्ताव पारित कर खदान को विरोध दर्शाता पत्र एमपीसीबी को दिया था। अपेक्षा अनुसार विरोध करने वाले ज्यादातर गांव के ग्रामपंचायत के पदाधिकारी व ग्रामीणों सहित पंचायत समिति, जिला परिषद सदस्य भी सुनवाई में उपस्थित थे। इस अवसर पर सावनेर के विधायक सुनील केदार, काटोल के विधायक अनिल देशमुख व पूर्व विधायक रमेश बंग सहित कलमेश्वर पंचाय समिति सभापति प्रभाकर पवार, उपसभापति अविनाश पारधी, जिप सदस्य भारती पाटील, राजू सुके, नितीन कालबांडे, प्रदीप चन्कापुरे आदि उपस्थित थे।
समर्थन में नहीं उठा कोई हाथ : सुनवाई में ज्यादातर लोगों ने विरोध दर्ज कराया। इस दौरान अधिकारियों ने समर्थन वालों से हाथ उठाने की अपील की, लेकिन किसी ने हाथ ऊपर नहीं किया। चारों ओर सन्नाटा रहा। विरोध किसका है, यह पूछे जाने पर सभी ने एक साथ हाथ ऊपर कर नारेबाजी की। ‘बंद करो, बंद करो’ के नारे लगाते हुए प्रकल्प रद्द करने की मांग की।
रिपोर्ट अंग्रेजी में, लोगों को मराठी में उपलब्ध कराने की मांग : सुनील केदार ने आपत्ति जताते हुए कहा कि खदान की रिपोर्ट अंग्रेजी में होने से नागरिकों को समझने में इसे दिक्कतें आ रही हैं। रिपोर्ट मराठी में नहीं होने से तीव्र नाराजगी जताई। लोगों ने ‘बंद करो, बंद करो, कोयला खदान बंद करो’ नारेबाजी कर अपना विरोध दर्ज कराया। अनिल देशमुख ने कहा कि खदान क्षेत्र में वेणा जलाशय है, जिसके पानी का सभी गांव वाले उपयोग करते हैं। मेट्रो रीजन क्षेत्र होने से एनएमआरडीए ने 100 साल का नियोजन भी किया है। खदान के कारण सैकड़ों गांव और घर बर्बाद होंगे। इस दौरान पर्यावरण विशेषज्ञ सुधीर पालीवाल ने एमपीसीबी की वेबसाइट दो दिन पहले से बंद होने का मुद्दा उठाया। वेबसाइट बंद होने से ज्यादातर लोगों ने कंपनी की रिपोर्ट नहीं देखी। सुनवाई में ऑनलाइन भी उपस्थित नहीं रह पाए। जिसने खदान की रिपोर्ट तैयार की, उसी व्यक्ति से सुनवाई में प्रस्तुतिकरण होने की अपेक्षा थी, लेकिन एक प्रयोगशाला के प्रतिनिधि द्वारा खदान की रिपोर्ट पेश करने पर आपत्ति दर्ज की गई। नागरिकों का भारी विरोध देखते हुए आरडीसी सुभाष चौधरी ने आखिरकार जनसुनवाई रद्द करने की घोषणा की।
अनावश्यक सवाल कर जनसुनवाई बाधित की
डॉ. एस.डी. गारवे, निदेशक, एनॉकॉन लेबोरेटेरिस प्रा. लि. के मुताबिक जान-बूझकर जनसुनवाई को बाधित किया गया। ऐसे सवाल किए गए, जो अनावश्यक थे। व्यक्तिगत लाभ के लिए सरकारी एजेंसियों को निशाना बनाया गया। पर्यावरणविद् राजेेंद्र कोरडे ने लोगों को गुमराह किया। रिपोर्ट मराठी में नहीं है, इसे लेकर सवाल किए गए। लेकिन जब मराठी में प्रस्तुतिकरण किया जा रहा था तो अनावश्यक आक्रामक प्रदर्शन कर रोका गया। सलाहकार कंपनी के एमडी और मुख्य समन्वयक बैठक में उपस्थित नहीं थे, इसे लेकर आक्रोश जताया गया। जनसुनवाई में दुर्व्यवहार किया गया, जो बेहत आपत्तिजनक है। तथाकथित पर्यावरण कार्यकर्ता जनता को राष्ट्र विरोधी और विकास विरोधी गतिविधियों के लिए गुमराह कर रहे हैं।
विरोध के कारण सुनवाई रद्द
हेमा देशपांडे, विभागीय अधिकारी, एमपीसीबी के मुताबिक जनसुनवाई के लिए 30 से ज्यादा आवेदन आए थे। इस दौरान जनप्रतिनिधि और ग्रामीणों का भारी विरोध होने के कारण जनसुनवाई स्थगित करनी पड़ी। लोगों ने खदान की रिपोर्ट का प्रस्तुतिकरण बंद कराया। भविष्य में सुनवाई होगी या नहीं? इस बारे में अभी कह नहीं सकते।
Created On :   14 July 2023 6:06 PM IST