- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- नागपुर
- /
- राज्य सरकार का हाई कोर्ट में...
राज्य सरकार का हाई कोर्ट में हलफनामा, पाली भाषा का स्वतंत्र यूनिवर्सिटी बनाने की जरूरत नहीं
- राज्य सरकार का हलफनामा
- हाई कोर्ट में दलील
- पाली भाषा का स्वतंत्र यूनिवर्सिटी बनाने की जरूरत नहीं
डिजिटल डेस्क, नागपुर. प्रदेश सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में हलफनामा देकर स्पष्ट किया है कि राज्य के 11 गैर-कृषि विश्वविद्यालयों में पाली भाषा में कुल 729 विद्यार्थी पढ़ रहे हैं, जहां शिक्षकों की संख्या 33 है। ऐसे ही संलग्नित कॉलेजों में 2839 विद्यार्थी पढ़ते हैं, जहां शिक्षकों की संख्या 30 है। फिलहाल इन विद्यार्थियों के लिए मौजूदा विश्वविद्यालयों में पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं, लिहाजा इस वक्त पाली भाषा के स्वतंत्र विश्वविद्यालय की स्थापना की जरूरत नहीं है, क्योंकि स्वतंत्र विश्वविद्यालय के लिए लगने वाली भूमि, इमारतें, मनुष्यबल में बहुत अधिक खर्च होगा।
भारत की प्राचीन भाषाओं में से एक : प्रो.भालचंद्र खांडेकर ने अधिवक्ता शैलेश नारनवरे के जरिए बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में जनहित याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता के अनुसार, पाली भाषा भारत की प्राचीन भाषाओं में से एक है। इसका इतिहास करीब ढाई हजार साल का है। भगवान गौतम बुद्ध ने अध्यात्म और अपनी विचारधारा के प्रचार-प्रसार के लिए इसी भाषा का उपयोग किया था। आगे सम्राट अशोक के काल में यह भाषा भारत भर में और ज्यादा प्रचलित हुई। देश के 50 से अधिक विश्वविद्यालयों में आज भी यह भाषा पढ़ाई जाती है। वहीं, वर्ष 2016 में न्यायालय ने भी केंद्रीय कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग को यूपीएससी मेन्स में पाली भाषा का वैकल्पिक विषय जोड़ने का आदेश दिया था, लेकिन अब तक इस फैसले पर अमल नहीं किया गया है। ऐसे में अब समयबद्ध तरीके से इस आदेश पर अमल हो, साथ ही नागपुर में पाली भाषा का स्वतंत्र विश्वविद्यालय स्थापित करने का आदेश देने की प्रार्थना हाईकोर्ट से की गई है। मामले में अब याचिकाकर्ता को उत्तर प्रस्तुत करना है।
Created On :   14 July 2023 6:31 PM IST