- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- नागपुर
- /
- इसरो की सर्वेक्षण रिपोर्ट में...
इसरो की सर्वेक्षण रिपोर्ट में फुटाला ‘आर्द्र भूमि’ ही
- याचिकाकर्ता का न्यायालय में दावा, अंतरिम स्थगन देने की मांग
- न्यायालय ने सभी पक्षों को सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित रखा
डिजिटल डेस्क, नागपुर। भारतीय अंतरिक्ष संशोधन संस्था (इसरो) द्वारा देश के आर्द्र भूमि (वेटलैंड) प्रदेश के लिए किए गए सर्वेक्षण अनुसार फुटाला तालाब के आर्द्र भूमि होने का दावा याचिकाकर्ता ने मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में किया। इसरो की रिपोर्ट अनुसार, आर्द्र भूमि प्रदेशों को सुरक्षित रखने के सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिए हैं। लिहाजा, फुटाला तालाब में बनाए गए म्यूजिकल फाउंटेन व कृषि भूमि पर तैयार किए गए पार्किंग प्लाजा को अंतरिम स्थगिती देने की न्यायालय से विनती की गई है। इस मुद्दे पर सभी पक्षों का युक्तिवाद पूरा हो गया है। न्यायालय ने अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया है।
हवाला यह दिया : फुटाला तालाब में बनाए गए म्यूजिकल फाउंटेन अवैध होने का दावा करने वाली जनहित याचिका स्वच्छ फाउंडेशन ने दायर की है। याचिका अनुसार फुटाला तालाब का समावेश नेशनल वेटलैंड इन्वेंटरी और असेसमेंट की सूची में किया गया है। केंद्र सरकार के नियमानुसार, वेटलैंड पर किसी प्रकार का निर्माणकार्य नहीं किया जा सकता है। इस बाबत सर्वोच्च न्यायालय ने भी आदेश पारित किया है। इसके बावजूद फुटाला में म्यूजिकल फाउंटेन तैयार किया गया है। इस प्रकल्प के आसपास बड़ का कृत्रिम पेड़ लगाया जा रहा है, इस पर भी याचिकाकर्ता ने आपत्ति दर्ज की है। पिछले सुनवाई के दौरान वेटलैंड अथॉरिटी ने शपथ-पत्र दाखिल कर दावा किया था कि फुटाला तालाब ही नहीं, शहर की कोई भी जगह आर्द्र भूमि (वेटलैंड) में नहीं है। मनपा ने विकास नियंत्रण नियमावली अनुसार (डीसीआर) फुटाला परिसर में निर्माणकार्य करने की अनुमति देने की जानकारी न्यायालय को दी थी। मेट्रो रेलवे ने भी कहा था कि फुटाला तालाब पर बनाए गए म्यूजिकल फाउंटेन भी कानूनी है।
प्रक्रिया कानून अनुसार : इस प्रकरण में बुधवार को न्या. अतुल चांदुरकर व न्या. वृषाली जोशी के समक्ष सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता ने फुटाला तालाब आर्द्र भूमि होने का दावा किया है। इस कारण तालाब में बनाए गए म्यूजिकल फाउंटेशन व कृषि जमीन पर तैयार किए गए पार्किंग प्लाजा प्रकल्प को अंतरिम स्थगिती देने की मांग की है। सरकार ने तालाब मानव निर्मित होने का दावा करते हुए कहा कि यह आर्द्र भूमि में नहीं आता है। इस प्रकल्प की सभी प्रक्रिया कानून अनुसार होने का दावा किया है। न्यायालय ने सभी पक्षों का युक्तिवाद सुनने के बाद इस पर अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया है। याचिकाकर्ता की ओर से एड. सत्यजीत राजेशिर्के, केंद्र सरकार की ओर से असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल एड. नंदेश देशपांडे, राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ विविध एस.के. मिश्रा, मेट्रो रेलवे की ओर से एड. आनंद परचुरे, मनपा की ओर से एड. जेमिनी कासट और नासुप्र की ओर से एड. सुधीर पुराणिक ने कामकाज देखा।
Created On :   29 Jun 2023 11:48 AM IST