60 एकड़ सरकारी जमीन पर बरसों से खेती और फसल कर्ज भी लिया

60 एकड़ सरकारी जमीन पर बरसों से खेती और फसल कर्ज भी लिया
50 लाख जुर्माना...

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सरकारी जमीन को अपना बताने वाले परिवार को बड़ा अदालती झटका लगा है। 60 एकड़ जमीन पर लगभग छह दशक तक खेती कर उस पर फसल कर्ज का लाभ लेने वाले एक परिवार की धोखाधड़ी का खुलासा होने पर मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने लगभग 50 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। न्यायमूर्ति अनिल पानसरे की खंडपीठ ने यह आदेश पारित किया है।

यह है प्रकरण : याचिकाकर्ता के अनुसार, चंद्रपुर जिले के ब्रह्मपुरी तहसील के मौजा अकापुर उर्फ रुपाला में उसकी 60 एकड़ जमीन थी। उसके पूर्वजों ने 1942 में इस जमीन पर खेती करने के लिए अनुमति मांगने आवेदन किया था। मंजूरी मिली और तब से वह इस जमीन पर खेती कर रहे थे। उस समय यह हिस्सा मध्यप्रदेश में था। बाद में 1950 में मध्य प्रदेश में मालिकी हक रद्द करने का कानून लागू किया गया। इसमें उक्त जमीन वन विभाग को दी गई, लेकिन याचिकाकर्ता ने यह जमीन अपने कब्जे में रखी। यह मामला ध्यान में आने पर 1987 में तत्कालीन तहसीलदार ने याचिकाकर्ता को दो हजार रुपए जुर्माना लगाया और जमीन छोड़ने का आदेश दिया। लेकिन याचिकाकर्ता ने इस आदेश को चुनौती देने की बजाए 1950 के कानून के कुछ प्रावधान अनुसार यह जमीन अपने मालिकी का होने का दावा दीवानी न्यायालय में किया।

जमीन वनविभाग को हस्तांतरित करने के आदेश : तहसीलदार की जांच में इसमें 4.80 एकड़ जमीन याचिकाकर्ता के नाम करने का आदेश दिया गया। फिर भी उसने संपूर्ण 60 एकड़ जगह पर अतिक्रमण किया। इसके बाद दीवानी न्यायालय में याचिका खारिज करने से उसने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। अंतत: उक्त जमीन वन विभाग की होने से न्यायालय ने याचिकाकर्ता को लगभग 50 लाख रुपए का जुर्माना लगाया। यह रकम न्यायालय के रजिस्ट्री कार्यालय में जमा करने और भविष्य में वह राजस्व व वनविभाग को हस्तांतरित करने के आदेश न्यायालय ने दिए।

याचिकाकर्ता की मृत्यु : सुनवाई के बीच फरियादी की मृत्यु होने से उसके दो बेटे और दो बेटी इस प्रकरण में फरियादी हुए। इस कारण यह जुर्माना उनके बच्चों को भरना होगा। इतना ही नहीं, मूल याचिकाकर्ता ग्रामसेवक था। बाद में उसे गटविकास अधिकारी पद पर पदोन्नति भी दी गई थी। यह जानकारी भी उसने न्यायालय से छुपाकर रखी थी।

Created On :   11 Aug 2023 11:16 AM IST

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