बूढ़ी मां के देखभाल का संयुक्त खर्च उठाना संतान की कानूनी जिम्मेदारी

बूढ़ी मां के देखभाल का संयुक्त खर्च उठाना संतान की कानूनी जिम्मेदारी
बेटे की याचिका खारिज

डिजिटल डेस्क, नागपुर। माता-पिता के वृद्ध होने पर उनकी देखभाल करना संतान की कानूनी जिम्मेदारी हो जाती है, किसी भी बहाने से संतान इस जिम्मेदारी से बच नहीं सकती। इस निरीक्षण के साथ हाई कोर्ट ने अकोला निवासी सेवानिवृत्त आरपीएफ अधिकारी को अपनी 82 वर्षीय बूढ़ी मां को 4 हजार रुपए प्रतिमाह मेंटेनेंस देने का आदेश दिया है। बेटे की दलील थी कि उसकी मां अपने छोटे बेटे और बेटी के साथ रह रही है और कृषि भूमि से उन्हें आय प्राप्त हो रही है। इसलिए वह मां को मेंटेनेंस नहीं देगा। लेकिन हाई कोर्ट ने माना कि बूढ़ी मां चाहे किसी भी संतान के पास रह रही हो, दूसरी संतान को उसके देखभाल का खर्च संयुक्त रूप से उठाना ही होगा। उक्त निरीक्षण के साथ याचिका खारिज की है।

यह है मामला : अकोला के बारशीटाकली निवासी 82 वर्षीय मैनाबाई (परिवर्तित नाम) के 2 बेटे और 1 बेटी है। बेटे-बेटियों का विवाह हो चुका है। वर्ष 2016 में मैनाबाई ने स्थानीय जेएमएफसी न्यायालय की शरण ली और अपने बड़े बेटे विजय से मेंटेनेंस दिलाने की प्रार्थना की। मैनाबाई ने दलील दी कि उनके पति का निधन वर्ष 2010 में हो गया। तब से ही बड़ा बेटा विजय उसे प्रताड़ित कर रहा है। वह अपने छोटे बेटे अजय के साथ रह रही है। अब वह बूढ़ी हो चुकी है और उसकी आजीविका का कोई स्रोत नहीं है। न्यायालय ने इसे मान्य करते हुए विजय को अपनी मां मैनाबाई को 5 हजार रुपए प्रतिमाह मेंटेनेंस देने का आदेश दिया। विजय ने इसके खिलाफ अकोला सत्र न्यायालय की शरण ली। सत्र न्यायालय के आदेश के बाद जेएमएफसी न्यायालय ने दोबारा इस प्रकरण में सुनवाई की और फैसला लिया कि मां को उसकी सभी संतानें मेंटेनेंस राशि देंगी। इसलिए कोर्ट ने बेटे विजय को 4 हजार रुपए, अजय को 4 हजार रुपए और बेटी रीना को 2 हजार रुपए प्रतिमाह अपनी मां को मेंटेनेंस के रूप में अदा करने का आदेश दिया। विजय ने इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन हाई कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी।

Created On :   30 Jun 2023 2:49 PM IST

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