विकसित की स्वदेशी स्वचालित ट्रैकिंग प्रणाली

विकसित की स्वदेशी स्वचालित ट्रैकिंग प्रणाली
एयर मार्शल विभास पांडे ने दी जानकारी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। भारतीय वायुसेना ने आत्मनिर्भर बनने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। वायुसेना के इतिहास में पहली बार पूरी तरह स्वदेशी स्वचालित ट्रैकिंग प्रणाली विकसित करने की जानकारी एयर मार्शल विभास पांडे, एयर ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ (एओसी-इन-सी), मेंटेनेंस कमांड ने पत्रकारों को अनौपचारिक चर्चा में दी।

आगामी सितंबर माह से उपयोग शुरू होगा : उन्होंने बताया कि, स्वदेशी स्वचालित ट्रैकिंग प्रणाली उपग्रह से जुड़ी है। युद्ध के समय और अन्य समय उड़ान भरने पर विमान कहां है, इसकी जानकारी मिलेगी। इसके अनेक स्थानों पर परीक्षण शुरू हैं। अब सिर्फ ईस्टर्न सेंटर में ट्रायल रह गया है। वह होने पर आगामी सितंबर में वायुसेना में स्वदेशी स्वचालित ट्रैकिंग प्रणाली का उपयोग शुरू होगा।

गुजरात में मालवाहक विमानों का निर्माण : विभास पांडे ने बताया कि, आत्मनिर्भर होने की निरंतर शुरू रहने वाली प्रक्रिया है। जिस कारण इसका प्रमाण बताया नहीं जा सकता, लेकिन एक-एक कर चरणबद्ध तरीके से आत्मनिर्भर बनने की दिशा में काम शुरू है। अक्टूबर 2021 में ‘सी-295’ नामक 56 मालवाहक विमानों का करार स्पेन के साथ हुआ। उसमें से चार विमान आगामी सितंबर में वायुसेना को मिलेंगे। और 12 विविध चरण में मिलेंगे। इसमें 40 मालवाहक विमानों का निर्माण गुजरात के वडोदरा में टाल कंपनी ने किया है।

राफेल की देखभाल-दुरुस्ती अपने पास लेने का विचार नहीं : एयर मार्शल ने कहा कि, वायुसेना में रशियन बनावट के सुखोई सहित मिग-21 विमान काफी पुराने हो गए हैं। यह सही है कि, इन विमानों की देखभाल दुरुस्ती पर काफी खर्च होता है। हालांकि, इस आधार पर इन विमानों को बाहर नहीं किया जा सकता है। विविध चरणों में सभी विमानों को बदला जाएगा। इसके लिए 83 एलसीए विमानों का करार किया गया है। फिलहाल राफेल की देखभाल-दुरुस्ती मेंटेनेंस कमांड अपने पास लेने का कोई विचार नहीं है। मेंटेनेंस कमांड में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजंस) का उपयोग विदा संकलन, विश्लेषण और वैद्यकीय सेवा में किया जा सकता है क्या? यह देखा जाएगा। पांडे ने संकेत देते हुए बताया कि, भविष्य में आर्मी व नेवी के विमानों की देखभाल-दुरुस्ती हमारे पास आ सकती है।

निजी सहभाग आवश्यक : संरक्षण क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए निजी सहभाग आवश्यक है। निजी उद्योगों को दूर रखकर आत्मनिर्भर नहीं हो सकते हैं। निजी सहभाग से ही आत्मनिर्भर होकर संपूर्ण प्रगति हो सकती है। पांडे ने कहा कि, हमें आर्थिक रुप से स्वावलंबी होने के लिए भी अलग-अलग घटकों में विस्तार पर विचार करना होगा।

Created On :   21 July 2023 12:13 PM IST

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