‘टू फिंगर्स टेस्ट’ को मेडिकल के पाठ्यक्रम से हटाने का मुद्दा,प्रधान सचिव हाजिर हों

‘टू फिंगर्स टेस्ट’ को मेडिकल के पाठ्यक्रम से हटाने का मुद्दा,प्रधान सचिव हाजिर हों
कोर्ट ने कहा- 3 सप्ताह में उत्तर दें

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कौमार्य परीक्षण के लिए किए जाने वाले ‘टू फिंगर्स टेस्ट’ को मेडिकल के पाठ्यक्रम से हटाने का मुद्दा उठाती जनहित याचिका पर बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने राज्य सरकार को अगले तीन सप्ताह के भीतर उत्तर प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। वरना 17 अगस्त की सुनवाई में स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को न्यायालय में प्रत्यक्ष रूप से हाजिर रहने का आदेश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिबंध लगाया है : दरअसल याचिकाकर्ता एड.स्मिता सरोदे सिंगलकर ने अपनी याचिका में मुद्दा उठाया है कि अस्पताल में दुष्कर्म पीड़िता के कौमार्य परीक्षण के लिए जो ‘टू फिंगर्स टेस्ट’ की जाती है, उसे चिकित्सा पाठ्यक्रम से ही हटा देना चाहिए। याचिकाकर्ता के अनुसार, इस टेस्ट के खिलाफ डॉ. रंजना पारधी ने वर्ष 2010 में न्यायालय में याचिका दायर की थी। इसके जवाब में राज्य सरकार ने 10 मई 2013 को कौमार्य परीक्षण के लिए दिशा निर्देश तय किए थे, जिसे हाई कोर्ट ने 29 जनवरी 2014 को स्वीकार कर करके याचिका का निपटारा कर दिया था। लेकिन इसके बावजूद एमबीबीएस पाठ्यक्रम में फोरेेंसिक मेडिसिन व जुरिसप्रुडेंस नामक किताब में इस टेस्ट को पढ़ाया जा रहा है, जबकि स्वयं सर्वोच्च न्यायालय ने इस टेस्ट पर प्रतिबंध लगाकर सभी राज्य सरकारों को इस पर अमल करने का आदेश दिया है।

जवाब नहीं दिया : हाई कोर्ट ने इस याचिका पर 5 जुलाई 2023 को राज्य सरकार को जवाब पेश करने का आदेश दिया था, लेकिन तब से सरकार की ओर से कोई जवाब न आने से अब हाई कोर्ट ने प्रधान सचिव को उपस्थित रहने की चेतावनी दी है।

Created On :   27 July 2023 10:59 AM IST

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