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जिलाधिकारी की अर्जी खारिज
डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने नागपुर जिलाधिकारी की उस अर्जी को खारिज कर दिया है, जिसमें जिलाधिकारी ने कोर्ट से प्रार्थना की थी कि कोविड के दौरान अस्पतालों में आपात स्थिति के लिए आरक्षित सीएसआर निधि का उपयोग बदल कर कीचड़ मुक्त बांध और कीचड़ मुक्त शिवार योजना के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति दी जाए। कोरोना काल के दौरान सीएसआर फंड से बहुत सी निधि विविध अस्पतालों में आपातकालीन इस्तेमाल के लिए आरक्षित रखा गया था। अब परिस्थिति में बदलाव के कारण इस निधि के इस्तेमाल की अनुमति मांगी थी।
अन्यत्र इस्तेमाल की अनुमति नहीं दे सकते : गौरतलब है कि नागपुर शहर और विदर्भ के विविध अस्पतालों में कोरोना मरीजों के इलाज पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने सू-मोटो जनहित याचिका दायर की थी। उस वक्त अस्पतालों में ऑक्सीजन, दवा, इंजेक्शन व स्टाफ की कमी जैसी समस्याओं पर हाई कोर्ट ने विविध आदेश जारी किए थे। इसी के तहत विविध व्यावसायिक इकाइयों ने कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) के तहत स्वास्थ्य सुविधाओं हेतु निधि जारी की थी। यह कुल मिला कर 1 करोड़ 4 लाख रुपए जमा हुए थ। इसे जिलाधिकारी की देख-रेख में सुरक्षित रखा गया था, लेकिन अब कोरोना जैसी स्थिति नहीं है। जिले में यह संक्रमण नियंत्रण में आ चुका है, इसलिए इस निधि का अन्य जनहित कार्यों में इस्तेमाल करने की अनुमति दी जाए, ऐसी अर्जी जिलाधिकारी ने दायर की थी। फिलहाल राज्य सरकार जलयुक्त शिवार 2.0 नामक उपक्रम चला रही है, जिसमें जलाशयों का कीचड़ निकाला जा रहा है, नागपुर जिले में इस योजना के लिए करीब 1 करोड़ 20 लाख रूपए की जरुरत है। इसलिए कोविड के सीएसआर से इसे निकालने की अनुमति देने की प्रार्थना की गई थी। मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने स्पष्ट किया कि स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए आरक्षित इस निधि का अन्यत्र इस्तेमाल की अनुमति नहीं दी जा सकती। इसलिए यह अर्जी नामंजूर की जाती है। मामले में न्यायालय मित्र एड.श्रीरंग भंडारकर को एड.सेजल लाखानी रेणू ने सहकार्य किया।
Created On :   21 July 2023 11:54 AM IST