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चिंता: बाघ बढ़ रहे लेकिन शावक कम हो रहे
डिजिटल डेस्क, नागपुर। बाघों की संख्या बढ़ी है, यह खुशी की बात है, लेकिन शावकों की लगातार हो रही मौत चिंता का विषय है। गत एक साल में केवल विदर्भ से ही एक दर्जन से ज्यादा मामले ऐसे आए हैं, जिसमें शावकों की मौत हुई है। हालांकि बाघों की मौत की तरह इनका कोई रिकॉर्ड नहीं रहता है। शावकों की मौत का प्रमुख कारण बाघिन का साथ नहीं होना पाया गया है। ऐसे में अवैध शिकार के भी संकेत मिल रहे हैं। यह भविष्य में बाघों की संख्या पर तेजी से असर डाल सकता है।
प्रमुख कारण यह सामने आया : जानकारों की मानें तो कई बार मां साथ छोड़ दोती है, जिससे शावकों की मौत हो जाती है। कई बार मातृत्व की कमी कारण बनी, तो शावकों का कमजोर होना भी कारण बना। इसके अलावा बाघिन दूसरे बच्चों की सुरक्षा के लिए भी कमजोर शावक को छोड़ देती है। उसे या तो जंगली जानवर खा जाते हैं, या फिर प्राकृतिक मौत हो जाती है। शिकारी भी ऐसे शावकों की ताक में रहते हैं।
कोशिशों के बाद भी मौत का आंकड़ा बढ़ा : विदर्भ के जंगलों में उमरेड करांडला, पेंच व्याघ्र प्रकल्प, ताड़ोबा, पवनी आदि घने जंगलों में बाघों की मौजूदगी है। साल के शुरूआत में उमरेड करांडला में शावकों की मौत का मामला सामने आया था। इसके बाद इसी साल गोरेवाड़ा जू में ली बाघिन ने दो शावकों को जन्म दिया था, लेकिन इस बाघिन में मातृत्व की कमी के कारण दोनों शावकों की उसी दिन मौत हो गई थी। इसके बाद जुलाई माह में भी गोरेवाड़ा जू में मातृत्व की कमी के कारण ही तेंदुए के दो शावकों की मौत हुई है। हाल ही में पेंच के पवनी एकसंघ बफर कक्ष क्रमांक 255 में बाघ के दो शावक भी मृत अवस्था में पाए गए। इन शावकों को दो दिन पहले वन विभाग ने बिना मां के घूमते हुए देखा था। इससे पहले कि वन विभाग उन्हें अपने पास लेकर जतन करता उनकी मौत हो गई। इसके बाद हाल ही में इसी माह में 3 शावकों की मौत बल्लारशाह वनपरिक्षेत्र में हुई है। मध्यचांदा वन विभाग में गश्त के दौरान कलमान में एक शावक जीवित और दो शावक मृत अवस्था में मिले थे। ट्रीटमेंट के बाद भी विभाग उस कमजोर शावक को नहीं बचा सका था।
Created On :   14 Sept 2023 10:31 AM IST