गड़बड़ी: जो विक्रांत बैंक के 6 करोड़ नहीं चुका पाया, उसके पास 77 करोड़ कहां से आए

जो विक्रांत बैंक के 6 करोड़ नहीं चुका पाया, उसके पास 77 करोड़ कहां से आए
बड़ी आशंका : जिन व्यापारियों का पैसा है, उनकी कुंडली निकाल रहा है विभाग

डिजिटल डेस्क, नागपुर। इनकम टैक्स विभाग ने सोंटू जैन प्रकरण की जांच शुरू कर दी है। इसके लिए विभाग ने एक टीम बनाई है जिसने कुछ दिनों की मशक्कत के बाद काले धन के कुबेर तक पहुंचने की रणनीति बनाई है। विभाग का सबसे बड़ा सवाल यही है कि, जो विक्रांत एक साल पहले तक अपने 6 करोड़ का लोन नहीं चुका पाया और बैंक करप्ट हो गया, उसके पास 77 करोड़ कहां से आए? इसी सवाल का जवाब तलाशना है। मतलब साफ है, इसमें जिन व्यापारियों ने अपनी काली कमाई सोंटू के गेम खलने में लगाई वह कौन-कौन हैं और उनके पास इस राशि का स्रोत क्या है? बस इसी बात पर सोंटू से जुड़े नागपुर, गोंदिया और विदर्भ के व्यापारियों में हड़कंप है। उन्हें डर है कभी भी विभाग उनके दरवाजे तक पहुंच जाएगा।

आवेदक से आरोपी तक पहुंचने का प्लान : इस मामले में इनकम टैक्स विभाग का फोकस अवैध इनकम पर शिकंजा कसना और उसके जिम्मेदारों पर आवश्यक कार्रवाई करना है। इसके लिए सबसे पहले उन्होंने इस मामले में आवेदक से पूछताछ की शुरुआत की है, जो आरोपी यानी सोंटू जैन तक पहुंचेगी। क्योंकि विभाग को इस मामले में हुए क्राइम से लेना-देना नहीं है। उनका काम इस अवैध कमाई तक पहुंचना है। चूंकि, शुरुआती पुलिस रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि, 77 करोड़ 55 लाख 54 हजार 300 रुपए विक्रांत ने सोंटू के गेम में लगाए। आखिर इतनी बड़ी रकम आई कहां से ?

अपनी राइस मिल और संपत्ति छुड़ाने आज तक रकम नहीं जुटा पाया : इस मामले में एक महत्वपूर्ण तथ्य सामने आया है, जिसमें विक्रांत अग्रवाल, जो पहले गोंदिया निवासी था, वहां उसकी एक राइस मिल थी। वह चावल का व्यापार करता था। कर्ज से परेशान होकर उसने वह मिल और अपनी कुछ संपत्ति गिरवी रखकर बैंक से करीब 6 करोड़ का कर्ज लिया था। 2018-2019 में वह अपना कर्ज नहीं चुका पाया इसलिए बैंक ने उसकी संपत्ति नीलामी के लिए निकाल दी। कुछ राजनीतिक रसूख के चलते उसकी संपत्ति नीलाम नहीं हो पाई और कुछ साल तक उसे संबंधित रकम उसके ब्याज के साथ चुकाने का समय दिया गया, लेकिन कई प्रयास के बाद भी विक्रांत वह नहीं चुका पाया था। यानी उसकी इतनी कमाई ही नहीं थी कि, वह इसे चुका सके।

यदि 77 करोड़ उसके पास थे, तो अपनी मिल क्यों नहीं छुड़ाई : यहां कई तरह की शंकाएं पैदा करने वाली बात यह है कि, 2020-21 में उसने 77 करोड़ सोंटू जैन को देने की शिकायत की है। इसमें से करीब 9 करोड़ ऑनलाइन और करीब 67 करोड़ कैश देना बताया। विभाग का कहना है कि, यदि उसके पास इतनी रकम थी, तो कोई भी सबसे पहले अपनी गिरवी संपत्ति छुड़वाता, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। इस बात की आशंका है कि, यह रकम विक्रांत की नहीं है, अन्य व्यापारियों की है, विक्रांत मात्र सोंटू जैन के एक एजेंट के रूप में काम कर रहा था।

आखिर किन-किन लोगों का पैसा लगा है, अब सवाल यही है : इस मामले में एक उल्लेखनीय बात यह है कि, करीब 77 करोड़ का लेन-देन विक्रंात खुद के नाम का बता रहा है, जबकि उसके बैंक खातों और अन्य रिटर्न चेक होने पर इतनी राशि कहीं भी नहीं है। इस पर इनकम टैक्स विभाग इस बात की जानकारी जुटाने में लगा है कि, आखिर यह रकम किन-किन लोगों की है। सूत्रों के अनुसार इसकी जानकारी शुरुआती स्तर पर पुलिस के पास है, लेकिन संबंधित लोगों के नाम इनकम टैक्स विभाग तक नहीं पहुंचे हैं।

Created On :   16 Sept 2023 2:38 PM IST

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