जिप्सी नहीं, अब जिम्नी से होगी जंगल सफारी

जिप्सी नहीं, अब जिम्नी से होगी जंगल सफारी
पेंच में ऐसे 10 वाहनों की दरकार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। अभी तक जंगल सफारी के लिए जिप्सी का उपयोग किया जाता रहा है, लेकिन संबंधित कंपनी ने यह गाड़ी बनाना ही बंद कर दिया है, इसलिए अब पुराने वाहनों को बदलने के लिए एनटीसीएन जिम्नी का विकल्प व्याघ्र प्रकल्प संचालकों को दिया गया है। यानी अब जितनी भी पुरानी जिप्सी है, उन्हें बाहर कर नई जिम्नी से जंगल सफारी कराने को कहा है, इसके लिए अपने-अपने क्षेत्र में जरूरी वाहनों की संख्या भी मांगी गई है। नागपुर के पेंच व्याघ्र प्रकल्प ने लगभग 10 जिम्नी की दरकार बताई है। यानी अब जल्द ही पेंच आने वाले पर्यटकों को जिम्नी से सफारी का आनंद मिलने वाला है।

अधिक आरामदायक और सुरक्षित : एनटीसीए सफारी उद्देश्य की आवश्यकता के अनुरूप संशोधित नए लॉन्च किए गए जिम्नी वाहन के पेट्रोल संस्करण की खरीद की सुविधा के लिए मारुति सुजुकी के साथ समन्वय कर रहा है। इसमें पेंच व्याघ्र प्रकल्प की ओर से कुल 10 नई जिम्नी की की दरकार बताई गई है। एस साल भर में जंगलों में चलने वाली पारंपारिक जिप्सी को पूरी तरह से बदलकर जिम्नी में तब्दील किया जाएगा। यह गाड़ी भी जिप्सी की तरह फोर बाय फोर है। यह विशेष रूप से डिजाइन किया गया ऑल-टेरेन वाहन है, जिसका उद्देश्य पर्यटकों के लिए सफारी अनुभव को बेहतर बनाना है। पारंपरिक जिप्सी के विपरीत, जिमी अधिक आरामदायक और सुरक्षित है, आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है, बेहतर दृश्यों के लिए बड़ी जगह है। हालांकि, एनटीसीए की ओर से संबंधित कंपनी को जिम्नी में आंशिक बदलाव करने के निर्देश भी दिए गए हैं। इसके बाद ही जिमी को टाइगर रिजर्व में संचालित किया जा सकेगा।

पुराने वाहनों में जोखिम : फिलहाल, कई व्याघ्र प्रकल्पों में पुराने वाहनों से जंगल भ्रमण कराया जा रहा है, जो कि पर्यटकों के लिए कभी भी जोखिम भरा साबित हो सकता है। ऐसे में हाल ही में एनटीसीए ने देश के सभी टाइगर रिजर्व को अपने पुराने सफारी वाहनों को बदलने और नए वाहनों की आवश्यकता भेजने को कहा है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए), पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ एंड सीसी), भारत सरकार ने देश के सभी टाइगर रेंज के मुख्य वन्यजीव वार्डनों को निजी ऑपरेटरों द्वारा सफारी प्रयोजनों के लिए उपयोग किए जा रहे सभी पुराने वाहनों को बदलने का निर्देश दिया है। यह निर्णय पर्यावरण मंत्री ने हाल ही में आईआईएफएम, भोपाल में एनटीसीए की 23वीं बैठक के दौरान लिया है।

Created On :   10 Aug 2023 4:18 PM IST

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