राहत: वन विभाग का प्राथमिक प्रतिसाद दल वन्यजीवों के लिए वरदान

वन विभाग का प्राथमिक प्रतिसाद दल वन्यजीवों के लिए वरदान
Pench Tiger Project, forest spread over 789 square kilometers

डिजिटल डेस्क, नागपुर। वन विभाग का प्राथमिक प्रतिसाद दल वन्यजीवों के लिए वरदान साबित हो रही है। मानद-वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए यह अहम साबित हो रही है। यही कारण है, कि हाल ही में इसे स्कॉच नामक पुरस्कार से भी नवाजा गया है। इस टीम कुल 187 सदस्य हैं। जो कि छोटे गांव के युवा हैं। यह टीम वन विभाग की आरआरयू व क्यूआरटी टीम का तालमेल बनाने के लिए भी अहम साबित हो रही है।

आरआरयू टीम तैयार की : पेंच व्याघ्र प्रकल्प 7 सौ 89 वर्ग किमी में फैला जंगल है। यहां 6 रेंज हैं। जिसमें सुरेवानी, खुबाडा, यूनी कंट्रोल, पवनी आदि रेंज आती हैं। इन सभी रेंज के अंतर्गत कई छोटे-छोटे गांव बसे हैं, जहां रहनेवाले लोग खेती पर निर्भर रहते हैं। लेकिन जंगल के पास ही खेती व गांव रहने से आए दिन मानद-वन्यजीव संघर्ष निर्माण होते रहता था। जब भी मानद व वन्यजीवों का सामना होता तो वनविभाग की टीम तुरंत घटनास्थल पर नहीं पहुंच पाती थी। जिससे की स्थिति बिगड़ जाती थी। ऐसे में वन विभाग ने आरआरयू नामक टीम तैयार की, जो कि विभाग स्तर पर बनी है। यह टीम मानद-वन्यजीव को रोकने के लिए काम करती है। लेकिन विभाग स्तर पर रहने से घटनास्थल तक पहुंचने के लिए इसे समय लग जाता था। जिससे स्थिति और खराब हो जाती थी। इसके बाद क्यूआरटी टीम तैयार की गई। इस टीम को रेंज स्तर पर बनाया गया था। लेकिन इस टीम के सदस्य भी घटनास्थल तक आते-आते देरी कर जाते थे, क्योंकि लंबी दूरी से आने तक इन्हें घटनास्थल तक पहुंचने में समय लग जाता था। ऐसे में गांव में आनेवाला वन्यजीव या तो यहां भाग निकलता था या फिर इंसानों के हाथों मारा जाता था।

समस्याओं का समाधान : इन सभी समस्या को देख वन विभाग ने ग्राम स्तर पर प्राथमिक प्रतिसाद दल का निर्माण किया है। यह गांव स्तर पर बनी टीमें हैं। जिसमें कुल 187 सदस्य हैं। यह सदस्य सभी 18 से 35 आयु वर्ग के हैं। यह टीम के हर सदस्य ग्राम स्तर पर होने से यहां किसी भी तरह की मानद वन्यजीव संघर्ष की स्थिति पैदा होने पर तुरंत टीम वरिष्ठ टीम को सूचित करती है। वहीं इन्हें भी प्रशिक्षित करने से दूसरी टीम आने तक यह स्थिति को संभाले रखती है। यही कारण है, कि पूरे राज्य में मानद-वन्यजीव संघर्ष बढ़ने के बाद भी पेंच में गत तीन साल में केवल एक तेंदुआ व दो बाघों का हमला हुआ है। जिसमें एक की मौत व 2 घायल हैं। इसके अलावा पूरे तीन साल में कोई घायल होने का मामला नहीं है।

Created On :   30 Sept 2023 3:07 PM IST

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