आक्रोश: विद्यालयों को गोद देने का दिखावा निजी कंपनियों को सौंपने का षडयंत्र

विद्यालयों को गोद देने का दिखावा निजी कंपनियों को सौंपने का षडयंत्र
शिक्षक संगठनों ने किया सरकार के निर्णय का विरोध

डिजिटल डेस्क, नागपुर । राज्य सरकार ने सरकारी स्कूलों को गोद देने का शासनादेश जारी किया है। राज्य के नागरिकों को सरकार का यह निर्णय हजम नहीं हो रहा है। गोद देने का दिखावा कर निजी कंपनियों को सौंपने का षडयंत्र माना जा रहा है। शिक्षक संगठन भी सरकार के निर्णय के विरोध मेंउतर रहे हैं। राज्य स्तर पर सरकार को ज्ञापन सौंपकर निर्णय रद्द करने की मांग किए जाने की जानकारी है।

सरकारी स्कूल चलाने में सरकार असमर्थ : राज्य में सरकारी स्कूल दयनीय हालात से गुजर रहे हैं। शिक्षकाें के हजारों पद रिक्त हैं। उसे भरने में सरकार टालमटोल कर रही है। शिक्षकों के वेतन पर खर्च में कटौती करने बाह्यस्रोत से भर्ती का फार्मूला अपनाया है। स्कूलों में भौतिक सुविधा उपलब्ध कराने अब निजी कंपनियों को गोद देने का निर्णय लिया है। शिक्षा व्यवस्था से जुड़े दो बड़े निर्णय सरकारी स्कूल चलाने में सरकार के असमर्थता की ओर इशारा है।

स्कूलों पर कंपनियों का कब्जा सरकार ने भले ही स्कूल गोद लेने वाली कंपनी का शालेय प्रबंधन में हस्तक्षेप से इनकार किया है, लेकिन बाह्यस्रोत से शिक्षकों की नियुक्ति का रास्ता खोल देने से प्रत्यक्ष हस्तक्षेप बढ़ने की संभावना व्यक्त हो रही है। स्कूल को गोद लेने के लिए रखी गई जटिल शर्तों पर वहीं कंपनियां पात्र होंगी, जो अनुभव तथा अन्य शर्तों को पूरा करेंगी। शैक्षणिक क्षेत्र में बाह्यस्रोत सेवा प्रदाता कंपनियों को पीछे के दरवाजे से प्रवेश देकर स्कूलों को निजी कंपनियों के कब्जे में सौंपने की सरकारी निर्णय में बू आ रही है।

कंपनी को रहेगा अधिकार : सरकारी स्कूलों को गोद देने के निर्णय से शिक्षकों के अस्तित्व पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। बाह्यस्रोत से शिक्षक नियुक्ति का सरकार ने वेतन तय किया है। बी.एड. तथा डी.एड. शिक्षक को प्रतिमाह 35 हजार और सहायक शिक्षक 25 हजार रुपए वेतन दिया जाएगा। नियुक्ति के बाद शिक्षक को किसी भी समय हटाने का संबंधित सेवा प्रदाता कंपनी को अधिकार रहेगा। नियमित शिक्षक नियुक्ति धीरे-धीरे बंद हो जाएगी। संपूर्ण व्यवस्था बाह्यस्रोत कंपनियों के हाथों सौंपी जाएगी।

सिर्फ खानापूर्ति : सरकार के निर्णय का एक सकारात्मक पहलू यह है कि कंपनियों के सीएसआर का शैक्षणिक उपक्रम में उपयोग किया जाएगा। बड़ी-बड़ी कंपनियां सीएसआर फंड कागजों पर दिखाकर खानापूर्ति कर रही हैं। शैक्षणिक उपक्रम में उस निधि का उपयोग करने के लिए यह संकल्पना लाई गई है। स्कूल को गोद लेकर कितनी इमानदारी से जिम्मेदारी का निर्वहन करती है, उस पर इस निर्णय की सकारात्मकता निर्भर है।

शिक्षकों के अस्तित्व पर संकट

सरकारी स्कूल निजी कंपनियों को गोद देने से संबंधित कंपनी का हस्तक्षेप बढ़ेगा। बाह्यस्रोत से शिक्षकों की नियुक्ति कर नियमित शिक्षक भर्ती को ब्रेक लग जाएगा। सरकार के इस निर्णय से शिक्षकों का अस्तित्व खत्म होगा। जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर सरकार से यह निर्णय रद्द करने की मांग की जाएगी।

शरद भांडारकर,

महाराष्ट्र नवनिर्माण शिक्षक, शिक्षकेत्तर सेना

Created On :   20 Sept 2023 2:19 PM IST

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