ध्वनि प्रदूषण को काबू करने की कवायद: महाराष्ट्र में 36, महामुंबई में 16 निगरानी यंत्र

ध्वनि प्रदूषण को काबू करने की कवायद: महाराष्ट्र में 36, महामुंबई में 16 निगरानी यंत्र
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भेजे जाएंगे आंकड़े

मोफीद खान. मुंबई । सड़कों पर वाहनों की बढ़ती संख्या और तीज-त्योहारों से लेकर शादी-ब्याह तक में फोड़े जाने वाले पटाखों से ध्वनि प्रदूषण कान फोड़ू बनता जा रहा है। कई बीमारियों की वजह बने ध्वनि प्रदूषण को काबू करने की कवायद राज्य सरकार ने शुरु की है। इसके लिए महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में 36 ध्वनि मॉनीटरिगं यंत्र लगाने वाला है। इनमें से 16 मशीनें महामुंबई (एमएमआर) में लगाई जाएंगी। रीयल टाइम मॉनीटर केंद्र के रूप में ये मशीनें केंद्र सरकार के एम्बिएंट न्वाइज मॉनीटरिंग नेटवर्क (एनएएनएमएन) से जुड़ी होंगी। चार साल पहले 2019 में एमपीसीबी को पांच मशीनें मिली थीं, जो मुंबई के बांद्रा-वडाला और ठाणे, वाशी तथा महापे में लगाई गई हैं। इन मशीनों से मिले आंकड़े सीधे केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को भेजे जाते हैं। उनका विश्लेषण कर ध्वनि प्रदूषण कम करने के कदम उठाए जाएंगे।

दिया जा रहा अंतिम रूप
एमपीसीबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 36 नई मशीनों के लिए उचित जगह देखी जा रही है। निगरानी स्थलों की सूची को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इनमें आवासीय, वाणिज्यिक, औद्योगिक और 'साइलेंस' क्षेत्र शामिल हैं। वसई-विरार, कल्याण-डोंबिवली, ठाणे सहित 16 क्षेत्र महामुंबई के हैं। नवी मुंबई में 4 नए मॉनीटर लगाए जाएंगे।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ
आवाज फाउंडेशन की निदेशक सुमायरा अब्दुल अली ने कहा कि मुंबई में शोर को नियंत्रित करना मुश्किल है। समस्या कितनी गंभीर है और इसका स्वास्थ्य पर कितना असर पड़ रहा है, इसके अध्ययन के लिए पारदर्शी तरीके से डेटा एकत्र करना आवश्यक है।

5 साल पहले हुआ था अध्ययन
अक्टूबर, 2015 और सितंबर 2016 में मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने मुंबई के 740 स्थानों पर डेसिबल स्तर की मैपिंग कराई थी। अधिकांश स्थानों पर दिन के दौरान औसत शोर स्तर 75 डेसिबल और रात में 65 डेसिबल दर्ज किया गया। आवासीय क्षेत्रों के लिए निर्धारित सीमा दिन में 50 और 55 डेसिबल के बीच और रात में 40 से 55 डेसिबल के बीच है।

सेहत पर प्रतिकूल असर
डॉक्टरों के मुताबिक शोर और सेहत के बीच सीधा संबंध है। शोर का स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है। तनाव, उच्च रक्तचाप, दिल का दौरा, श्रवण हानि, नींद में खलल आदि जैसी बीमारियां इनमें शामिल हैं।

Created On :   5 May 2023 2:27 PM IST

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