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प्राॅस्पेक्टिव प्लान पर सीनेट में हंगामा
डिजिटल डेस्क, नागपुर। राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय ने अपनी पंचवर्षीय योजना (प्राॅस्पेक्टिव प्लान) को मंजूरी प्रदान करने के लिए सीनेट की ऑनलाइन सभा बुलाई, जिसमें सीनेट सदस्यों ने विवि प्रशासन के खिलाफ तीव्र आक्रोश जाहिर किया। बैठक में कुलगुरु डॉ. सुभाष चौधरी की अनुपस्थिति में प्रकुलगुरु डॉ. संजय दुधे ने अध्यक्षता की। बैठक में सदस्य एड. मनमोहन बाजपेयी, डॉ. आर. जी. भोयर और डॉ. अजीत जाचक जैसे सदस्यों ने इस बात पर पहली आपत्ति ली कि जब एक बार कुलगुरु अपने विशेषाधिकारों के तहत सीनेट की ओर से प्लान को मंजूरी दे चुके हैं, तो फिर इसी एजेंडे पर सीनेट बुलाने की क्या जरूरत थी, वह भी ऑनलाइन सभा, जबकि अब कोविड जैसी परिस्थितियां नहीं हैं। विवि प्रशासन इस मुद्दे को सदस्यों को समझाने का प्रयास करता रहा, लेकिन जब सदस्य नहीं माने, तो सभा स्थगित करके प्रत्यक्ष सभा आयोजित करने का आश्वासन देना पड़ा। सदस्यों ने प्राॅस्पेक्टिव प्लान में बदलाव के बाद ही इसे मंजूरी देने का फैसला लिया है।
बैठक में अनुपस्थित कुलगुरु : इसी मुद्दे पर पूर्व कुलगुरु डॉ. सिद्धार्थ विनायक काणे व अन्य शिक्षाविदों के संगठन ‘विद्यावेद’ ने राज्यपाल और राज्य मंत्रिमंडल से विवि प्रशासन द्वारा प्लान को अवैध रूप से मंजूर करने की शिकायत की है। संगठन के अनुसार विवि अधिनियम में उल्लेखित प्रावधानों का गलत मतलब निकालते हुए कुलगुरु ने विशेषाधिकारों के तहत इसे मंजूरी दी। ऐसे में उनका ये कहना कि प्लान को सभी प्राधिकरणों ने मंजूरी दी है कानून की दृष्टि में सही नहीं है।
विशेषाधिकारों का उपयोग कर दी मंजूरी: विवि प्रशासन ने सीनेट सदस्य व विधान परिषद सदस्य प्रवीण दटके को एक पत्र लिखा है, जिसमें कुलगुरु के विशेषाधिकारों के तहत आनन-फानन में प्लान मंजूरी पर स्पष्टीकरण दिया गया है। विवि प्रशासन के अनुसार राज्य सरकार ने विवि को 20 जून तक हर हाल में प्राॅस्पेक्टिव प्लान भेजने का आदेश दिया था, इसलिए कुलगुरु के विशेषाधिकारों का उपयोग करते हुए इसे मंजूरी दी गई। प्राधिकरण की बैठक बुला कर नियमित मंजूरी लेने के लिए प्रशासन के पास पर्याप्त समय नहीं था।
यूनिवर्सिटी का फैसला गलत : इस तरह आनन-फानन में बगैर सीनेट मंजूरी के प्राॅस्पेक्टिव प्लान को पास करना सही नहीं है। गुरुवार की सीनेट में हमने इसका तीव्र विरोध किया। शासन ने अगर प्लान जल्दी मांगा भी था, तो विवि प्रशासन उन्हें पत्र भेज कर समय मांग सकता था, लेकिन नियमों को दरकिनार करके प्लान मंजूर करना सही नहीं था। एड. मनमोहन बाजपेयी, सीनेट सदस्य
यह है मामला : विवि हर 5 साल के बाद अपना प्रॉस्पेक्टिव प्लान तैयार करता है। इस प्लान में विवि द्वारा अगले 5 वर्षों में विवि कौन से नए पाठ्यक्रम शुरू करेगा, क्या उपक्रम लाएगा, विवि का विकास किस प्रकार से होगा इसका उल्लेख करके यह रिपोर्ट उच्च शिक्षा विभाग को मंजूरी के लिए भेजी जाती है। इस प्लान में सभी वर्गों की राय शामिल हो, इसके लिए इसे सीनेट में चर्चा के लिए रखा जाता है, लेकिन सीनेट सदस्यों का आरोप है कि इस बार सीनेट में यह प्लान नहीं रखा गया। 13 जून को व्यवस्थापन परिषद में प्रस्ताव रखकर 14 जून को कुलगुरु ने उच्च शिक्षा विभाग को एक पत्र लिख दिया। इसमें दावा किया गया है प्रॉस्पेक्टिव प्लान को बोर्ड ऑफ डीन्स, एकेडमिक काउंिसल, मैनेजमेंट काउंसिल की अनुमति मिल गई है और अपने विशेषाधिकारों का उपयोग करके कुलगुरु ने इसे सीनेट से भी मंजूर करवा लिया है।
Created On :   21 July 2023 1:07 PM IST